गुजरात के चुनावी दंगल का आखिरी दौर

अहमदाबाद: भाजपा और कांग्रेस के लिए साख का विषय बन चुका गुजरात विधानसभा चुनाव आखिरी दौर में है. ताबड़तोड़ रैलियों और चुनावी अभियान के बाद गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण का मतदान आज यानी गुरुवार को होगा. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएम मोदी ने अपनी-अपनी पार्टियों के पक्ष में वोटर को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. राज्य में सतारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं के 49 दिन तक जबरदस्त प्रचार किया. कांग्रेस के लिए यह चुनाव 22 साल के सत्ता को उखाड़ फेंकने का मौका है तो भाजपा के लिए पीएम मोदी की साख बचाने का मौका.

गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में उत्तरी और मध्य गुजरात को मिलाकर 93 सीटों के लिए मतदान होगा. इस चरण में कुल 851 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. बता दें कि ये 93 सीटें गुजरात के कुल 14 जिलों में आते हैं. इस चरण में करीब 2.22 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

आखिरी चरण का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि आज के जंग में बीजेपी की तरफ से उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल भी शामिल हैं, जो मेहसाणा से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस के जीवाभाई पटेल मैदान में खड़े हैं. वहीं, कांग्रेस से जुड़े अल्पेश ठाकोर राधनपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं. उन्हें भाजपा के लाविंगजी ठाकोर चुनौती दे रहे हैं.

इस चरण में वडगाम (एससी) एक और महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां भाजपा के विजय चक्रवर्ती के खिलाफ कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय जिग्नेश मेवानी चुनाव मैदान में हैं. कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र रहे मणिनगर से कांग्रेस ने विदेश में शिक्षा प्राप्त श्वेता ब्रह्मभट्ट को भाजपा के वर्तमान विधायक सुरेश पटेल के खिलाफ मैदान में उतारा है. बता दें कि पीएम मोदी ने 2014 में इस सीट को खाली कर दिया था.

पिछली बार के सभी चुनावों से यह चुनाव कुछ अलग है. क्योंकि भाजपा के खिलाफ जाति आधारित समीकरण बैठाने की जुगत में कांग्रेस ने हार्दिक पटेल, ठाकोर और मेवानी का सहारा लिया है जो पाटीदारों, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों की ओर से युवा तुर्क बनकर उभरे हैं.

गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए साख का विषय है. इतना ही नहीं, यह दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी भी है. एक-दो जगह को छोड़ दें तो लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस लगातार हार का मुंह देखती आ रही है. कांग्रेस इस चुनाव को जीतकर अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश करेगी और एक बार फिर से अपने कार्यकर्ताओं में विश्वास भरने की कोशिश करेगा. वहीं भाजपा के लिए इस चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले की परीक्षा माना जा रहा है. अगर एक तरह से कहा जाए तो गुजरात विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है और राहुल के लिए अग्निपरीक्षा है.

बता दें कि दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार मंगलवार को खत्म हो गया. चुनाव प्रचार थमने से पहले रैलियों में पीएम मोदी और राहुल गांधी ने एक दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेला. चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में मोदी ने तीखा हमला बोला और पालनपुर में एक रैली के दौरान आरोप लगाया कि पाकिस्तान गुजरात चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि मणिशंकर अय्यर द्वारा उन्हें ‘नीच’ कहे जाने के एक दिन पहले कुछ पाकिस्तानी अधिकारियों और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं के बीच मुलाकात हुई.

हालांकि, मनमोहन सिंह ने मोदी से कहा कि उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए. इतना ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मोदी के आरोपों को सिलसिलेबार ढंग से खारिज किया और पीएम मोदी और अमित शाह को आड़े हाथों लिया. इतना ही नहीं, मंगलवार को अहमदाबाद में एक प्रेस कॉनफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने गुजरात में जीत की उम्मीद जताई और कहा कि इंतजार कीजिए, गुजरात चुनाव के नतीजे जबरदस्त होंगे.

आज दूसरे दौर का मतदान संपन्न होने के बाद मतगणना 18 दिसंबर को होगी. बता दें कि पहले चरण में 89 सीटों के लिए हुई वोटिंग में 66.75 फीसदी मतदान हुए. साल 2012 में भाजपा ने 115 सीट जीती थीं. कांग्रेस को 61 सीटों पर जीत मिली थीं. अब देखना दिलचस्प होगा कि 18 दिसंबर को गुजरात की जनता क्या जनादेश देती है और वो 22 साल के बीजेपी के शासन पर ही भरोसा जताती है या फिर कांग्रेस को एक विकल्प और उम्मीद के तौर पर एक मौका देना चाहती है.

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