मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि राज्य में अगले 5 साल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार चलेगी। फडणवीस ने कहा कि हम चुनाव में गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे हैं। हम राज्य को भाजपा के नेतृत्व में स्थिर गठबंधन की सरकार देंगे। फडणवीस का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब शिवसेना के कुछ नेताओं ने मांग की है कि राज्य में ढाई साल शिवसेना और ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री बने।
उद्धव के साथ बैठक के बाद विधायकों ने उठाई थी मांग
महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना की हिस्सेदारी पर चर्चा के लिए उद्धव ठाकरे ने शनिवार को अपने आवास (मातोश्री) पर पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई। शिवसेना ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 50:50 फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए मांग की थी कि शिवसेना और भाजपा दोनों के नेताओं को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिले। शिवसेना के प्रताप सरनाइक ने कहा कि उद्धव जी को मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा आलाकमान से लिखित में लेना चाहिए। मातोश्री के बाहर ‘सीएम महाराष्ट्र ओनली आदित्य ठाकरे’ नारे लिखे पोस्टर लगाए गए।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने 161 सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें भाजपा की 105 और शिवसेना की 56 सीट हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों दल दीपावली बाद सरकार बनाने के लिए मुलाकात करेंगे। भाजपा ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए 30 अक्टूबर को बैठक बुलाई है।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने शिवसेना की मांग पर कहा, ”गेंद अब भाजपा के पाले में है। यह शिवसेना के ऊपर है कि वे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग करें या ढाई साल के मुख्यमंत्री के लिए भाजपा के जवाब का इंतजार करें। अगर शिवसेना हमसे संपर्क करती है तो हम उनकी ज्यादा से ज्यादा मांगें मानेंगे।”
चुनावों से पहले तय हो गया था बंटवारा: उद्धव
गुरुवार को चुनाव नतीजे आने के बाद उद्धव ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के संबंध में सारी बातें हो गई थीं। अब समय आ गया है कि उसे अमल में लाया जाए। ठाकरे ने कहा था कि वह अपनी पार्टी के नेताओं के साथ पहले बैठक करेंगे। इसके बाद भाजपा नेताओं के साथ सरकार बनाने के संबंध में चर्चा करेंगे।
2014 की तुलना में भाजपा को नुकसान
इस बार के विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा को झटका लगा है। 2014 में जहां भाजपा ने 122 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, इस बार शिवसेना से गठबंधन होने के बाद भी वह 105 सीटों पर सिमट गई। वहीं, शिवसेना ने पिछले चुनाव की तुलना में 14 ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। इस हिसाब से शिवसेना, सरकार में पिछली बार की तुलना में ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर सकती है। 2014 ने दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था।