महाराष्ट्र सरकार ने खाने-पीने के सामान की दुकानों के खुलने का वक्त किया तय

महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि सभी किराना स्टोर, फल-सब्जी की दुकानें, डेयरियां, बेकरी, कन्फेक्शनरी, कृषि उपज से संबंधित दुकानें और पालतू पशु खाद्य से संबंधित दुकानें सुबह 7 से सुबह 11 बजे तक खुली रहेंगी. यानि अब ये दुकानें चार घंटे के लिए ही खुलेंगी.

मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना से हालात लगातार खराब होते जा रहे है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार लगातार कड़े कदम उठा रही है. इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने एक फैसला लिया है. महाराष्ट्र में मात्र 4 घंटे के लिए खाने-पीने के समान वाली दुकानें खुली रहेंगी. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला लिया है. महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि सभी किराना स्टोर, फल-सब्जी की दुकानें, डेयरियां, बेकरी, कन्फेक्शनरी, कृषि उपज से संबंधित दुकानें और पालतू पशु खाद्य से संबंधित दुकानें सुबह 7 से सुबह 11 बजे तक खुली रहेंगी. यानि अब ये दुकानें चार घंटे के लिए ही खुलेंगी.

महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि इन दुकानों को होम डिलवरी सुबह सात बजे से रात के आठ बजे तक करने की अनुमति दी गई है. दरअसल, महाराष्ट्र में कर्फ्यू के बावजूद संक्रमण के मामले बेकाबू हैं. पिछले 24 घंटों के दौरान यहां 58,924 नए केस सामने आए हैं. इसी दौरान 351 लोगों की मौत भी हुई है.

वहीं, देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण कुछ राज्य सरकारों की ओर से कर्फ्यू, लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने अहम पहल की है. मंत्रालय ने मजदूरों की भुगतान सहित हर तरह की शिकायतों और समस्याओं को दूर करने के लिए देश भर में 20 कंट्रोल रूम खोले हैं.

देश भर में चीफ लेबर कमिश्नर की निगरानी में संचालित ये कंट्रोल रूम राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को सुलझाने में मदद करेंगे. पिछले साल लाखों मजूदरों की समस्याओं का कंट्रोल रूम के माध्यम से समाधान हुआ था. पीड़ित प्रवासी मजदूर, ईमेल, मोबाइल और वाट्सअप के माध्यम से कंट्रोल रूप में शिकायतें दर्ज करा सकते हैं. ये कंट्रोल रूम लेबर इंफोर्समेंट अफसर, असिस्टेंट लेबर कमिश्नर, क्षेत्रीय श्रम आयुक्त आदि स्तर के अधिकारी संचालित करेंगे.

सभी 20 कंट्रोल रूम की निगरानी चीफ लेबर कमिश्नर करेंगे. सभी संबंधित अधिकारियों से पीड़ित कामगारों को अधिकतम संभव सहायता देने का निर्देश है. कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के मामले में सभी अफसर मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर मदद करें.

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