नई दिल्ली: साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित़़, साध्वी प्रज्ञा, रमेश उपाध्याय और अजय राहिकर को मकोका (MCOCA) में बरी कर दिया गया है. अब इन सभी आरोपियों पर UAPA के तहत मुकदमा चलेगा. विशेष एनआईए अदालत ने वर्ष 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के तीन आरोपियों श्याम साहू, शिवनारायण कालसंगरा और प्रवीण तकलकी को सभी आरोपों से मुक्त किया है. वहीं अदालत ने साध्वी प्रज्ञा, लेफ्टिनेट कर्नल पुरोहित और अन्य आरोपियों के खिलाफ यूएपीए और आईपीसी के तहत आपराधिक साजिश के आरोप तय किये हैं. हालांकि लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित़़, साध्वी प्रज्ञा, रमेश उपाध्याय और अजय राहिकर को मकोका (MCOCA) में बरी कर दिया गया है.
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में अंजुमन चौक पर शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने जोरदार बम धमाका हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे. जांच के बाद पता चला था कि धमाका करने के लिए LML फ्रीडम मोटरसाइकिल में विस्फोटक फिट किया गया था.
जमानत पर बाहर हैं ले.कर्नल पुरोहित
मालेगांव धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं. वे इसी साल अगस्त में जेल से बाहर आए थे. उन्हें लेने के लिए सेना की तीन गाड़ियां तलोजा जेल पहुंची थीं. तालोजा जेल से रिहा होने के बाद सेना की दक्षिण कमान यूनिट (खुफिया विंग) को रिपोर्ट की. हालांकि कर्नल पुरोहित पर अनुशासनात्मक और निगरानी (डिसिप्लिनरी एंड विजिलेंस) प्रतिबंध लागू रहेगा यानी वह निलंबन के तहत यूनिट में रहेंगे. उनको किसी सक्रिय ड्यूटी पर नहीं तैनात किया गया है. उनकी आवाजाही पर भी कुछ प्रतिबंध होंगे यानी कुल मिलाकर वह ओपेन अरेस्ट रहेंगे.
मालेगांव विस्फोट मामले में 2 को जमानत
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने इसी साल मालेगांव विस्फोट मामले के दो प्रमुख आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी व सुहार द्विवेदी को समानता के आधार पर जमानत दे दी थी. दोनों को 50 हजार रुपये की जमानत राशि व अन्य शर्तो के साथ जमानत दी गई.
साध्वी भी हैं जमानत पर
सुप्रीम कोर्ट की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद एस. पुरोहित को जमानत दिए जाने के बाद चतुर्वेदी व द्विवेदी, उर्फ दयानंद पांडेय ने जमानत के लिए याचिका दायर की थी. पुरोहित मालेगांव मामले में प्रमुख आरोपी हैं.
इससे पहले, इस मामले में एक अन्य प्रमुख आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बंबई हाई कोर्ट जमानत पर रिहा कर चुका है. साध्वी को स्वास्थ्य व दूसरे आधारों पर करीब 9 साल की हिरासत के बाद जमानत दी गई.
जुम्मे की नमाज के बाद हुआ था विस्फोट
महाराष्ट्र के नाशिक जिले के मालेगांव में भीड़भाड़ वाली नूरजी मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को जुम्मे की नमाज के बाद शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ. इस विस्फोट में छह लोग मारे गए और 100 लोग घायल हो गए. मालेगांव मुंबई से उत्तर में करीब 300 किलोमीटर दूर है.
मस्जिद के पास किए गए इस विस्फोट को कांग्रेस ने ‘भगवा आतंकवाद’ नाम दिया था, क्योंकि पकड़े गए आरोपियों का ताल्लुक हिंदूवादी संगठनों से है. केंद्र में सत्ता बदलने के बाद इस मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का मन भी बदला. एनआईए की क्लीनचिट पर पहले साध्वी प्रज्ञा छूटीं, उसके बाद पुरोहित. समानता के आधार पर दो और को जमानत मिल गई है. सवाल यह है कि अगर ये निर्दोष हैं, तो दोषी कौन है? आतंकवादी घटना की जांच अगर इसी तरह होती रही तो एनआईए पर भरोसा कौन करेगा.