लखनऊ: दो प्रमुख नेता मायावती और अखिलेश यादव सीबीएआई के चंगुल में फस सकते है

सपा सरकार के दौरान वर्ष 2012-13 में खनन विभाग पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पास ही था। इसलिए अवैध खनन घोटाले को लेकर सीबीआई पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछताछ कर सकती है।

लखनऊ: दो प्रमुख नेता मायावती और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से पहले संकट में फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अब भष्टाचार के दो नए मामलों की जांच में लगी हुई है। जिन दो मामलों की जांच सीबीआई कर रही है, उनमें ये दोनों ही नेता संलिप्त हैं। पहला मामला 1,100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले का हैं तो दूसरा सरकारी संपत्तियों की बिक्री का है।

बता दें कि दोनों ही मामलों में नौकरशाहों और राजनेताओं की सांठगांठ की पोल खुल रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती के पूर्व सचिव नेतराम सरकारी संपत्तियों की बिक्री में फंसे हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सहयोगी गायत्री प्रजापति और छह नौकरशाह कई करोड़ के रेत खनन घोटाले के तार में फंसे हुए हैं।

अवैध खनन घोटाले की होगी जांच
सपा सरकार के दौरान वर्ष 2012-13 में खनन विभाग पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पास ही था। इसलिए अवैध खनन घोटाले को लेकर सीबीआई पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछताछ कर सकती है। वहीं, साल 2011 के बाद से राज्य के सभी खनन मंत्री जांच के दायरे में हैं। ऐसे में सीबीआई अखिलेश यादव, गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके करीबी सपा एमएलसी रमेश मिश्रा से पूछताछ कर सकती है।
सपा के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा खनन पट्टे से जुड़ी कई फाइलों को मंजूरी दी गई थी। सीबीआई इस मामले में इन फाइलों का ऑडिट करवाएगी कि क्या मुख्यमंत्री कार्यालय ने निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किया। हालांकि, सीबीआई ने गायत्री प्रजापति के मामले में पाया कि उनके द्वारा अनिवार्य ई-टेंडर नियमों का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया था।

इस मामले की जांच भी करेगी सीबीआई
वहीं, बसपा मुखिया मायावती भी मुसीबतों में फंसती नजर आ रही हैं। दरअसल, उनके सबसे भरोसेमंद नौकरशाह नेतराम के परिसरों की सीबीआई ने चीनी मिल घोटाले की वजह से तलाशी ली है। जानकारी के अनुसार, इस घोटाले को लेकर अब नेतराम जो भी खुलासे करेंगे, उसी पर मायावती का भविष्य टिका हुआ है। वर्ष 2010-11 के दौरान चीनी मिलों को औने-पौने कीमतों पर बेचा गया था। यह बात खुद सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में साबित हुई है। तब मायावती मुख्यमंत्री थीं।

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