माायावती की पार्टी बसपा के आक्रामक तेवरों के कारण झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस की धड़कनें तेज हो गई हैं। राजस्थान में बसपा को झटका देने के बाद कांग्रेस को डर है कि बसपा इन राज्यों में पूरी ताकत झोंकेगी। इससे भाजपा विरोधी वोटों के बंटवारे की आशंका है, जिसका फायदा भगवा दल को मिल सकता है।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस का यह पहला इम्तिहान है। ऐसे में पार्टी के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है। पार्टी इन राज्यों में सभी को साथ लेकर चलने की तैयारी कर रही है। चुनाव आयोग इस सप्ताह के अंत में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान कर देगा। झारखंड के चुनाव नवंबर के आखिर में होने की संभावना है। हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला है। पार्टी ने अशोक तंवर की जगह कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर दलित मतदाताओं को संकेत देने की कोशिश की है। पर बसपा का सभी सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान गणित बिगाड़ सकता है। हरियाणा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव में दलित मतदाता हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं।
झारखंड में 10 फीसदी दलित वोट
झारखंड में भी दलित मतदाताओं की संख्या करीब दस फीसदी है। चुनाव में दलित मतदाताओं की भूमिका अहम है, क्योंकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर जीत दर्ज किए बगैर बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंचा जा सकता। पिछले विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अधिकतर सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, अब स्थिति बदली हुई है और विधानसभा चुनाव में दलित मतदाता कांग्रेस पर भरोसा जताएंगे।
हरियाणा में बसपा का वोट घटा
बसपा का हरियाणा में वोट प्रतिशत घटा है। पर चुनाव में वह कांग्रेस के खिलाफ पूरी ताकत झोंकेगी। सभी सीट पर बसपा के उम्मीदवार उतारने से भाजपा विरोधी वोट बंट सकते हैं। तीन माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में बसपा को 3.6 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में 4.6 फीसदी और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में 4.5 फीसदी वोट मिले थे।