बॉलीवुड में Me Too अभियान के दौरान कई अभिनेत्रियों ने अपनी कहानियां बताईं. लेकिन राधिका आप्टे ने अब नये सिरे से बात छेड़ी है.
मुंबई. अभिनेत्री राधिका आप्टे (Radhika Apte) का मानना है कि ‘मी टू (Me Too)’ आंदोलन बॉलीवुड में आया और चला गया लेकिन फिल्म उद्योग में ज्यादा कुछ नहीं बदला. पिछले साल भारत में ‘मी टू’ आंदोलन ने जोर पकड़ा था और महिला ने अभिनेताओं, फिल्मकारों, लेखकों और पत्रकारों पर आरोप लगाए थे. यह पूछे जाने पर कि उन्हें दशक की कौन सी चीज अच्छी या बुरी लगी, राधिका ने कहा, “मीटू आंदोलन आया और चला गया. यह निराशाजनक है. बहुत सी चीजें जो बदलनी चाहिए थीं वह नहीं बदलीं. बहुत सी चीजें बाहर नहीं आईं न ही बदलीं. यह वास्तव में निराशाजनक है.”
अभिनेत्री ने कहा कि वेतन में भेदभाव के मुद्दे में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
आप्टे ने टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकनोमिक कन्क्लेव में कहा, “वेतन में बिलकुल भी समानता नहीं है. हम वेतन में समानता के बारे में बात नहीं करते. हमें वेतन में समानता के लिए इस तरह बात नहीं करने की जरूरत नहीं है कि ‘ए’ स्तर की अभिनेत्री को किसी ‘ए’ स्तर के अभिनेता से अधिक वेतन मिलना चाहिए. मोटे तौर पर कहा जाए तो यदि कोई ‘ए’ स्तर का अभिनेता आपको सीधे-सीधे तीन करोड़ रुपए का फायदा करा रहा है तो उसे अधिक वेतन मिलना चाहिए. लेकिन ए स्तर के अभिनेताओं के अलावा कास्ट और क्रू में अन्य लोग भी काम करते हैं. वहां वेतन में समानता नहीं है. वहां समान वेतन न दिए जाने के पीछे कोई बहाना नहीं है. वे लोग बॉक्स ऑफिस को बिलकुल भी प्रभावित नहीं करते.”
उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण टीम में बहुत सी महिलाएं काम करती हैं और यह एक अच्छी बात है.