सीजेआई रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अयोध्या केस (Ayodhya Verdict) के फैसले में कहा कि विवादित जमीन रामलला विराजमान (Ramlala) को दी जाए.
नई दिल्ली. अयोध्या केस (Ayodhya Land Dispute Verdict) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाया. सीजेआई रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने फैसले में कहा कि विवादित जमीन रामलला (Ramlala) विराजमान को दी जाए. साथ ही उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni waqf board) को अयोध्या (Ayodhya) में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया. इस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने असंतुष्टि जताई. उन्होंने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं है. इसे लेकर हम विचार करेंगे.’
Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board: We will file a review petition if our committee agrees on it. It is our right and it is in Supreme Court's rules as well. #AyodhyaJudgment https://t.co/ICu8y7fOzI pic.twitter.com/iAoOIcjMTz
— ANI (@ANI) November 9, 2019
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें…
– एएसआई की रिपोर्ट में जमीन के नीचे मंदिर के सबूत मिले: सुप्रीम कोर्ट
– विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी गई- CJI
रामलला को जमीन के लिए ट्रस्ट बनाया जाए- CJI
– मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए- CJI
– सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में योजना बनाए
सीजेआई ने कहा कि ट्रस्ट 3 महीने में मंदिर की योजना तैयार करे.
2.77 एकड़ विवादित जमीन पर सरकार का हक रहेगा- सुप्रीम कोर्ट
– संविधान की नजर में सभी आस्थाएं समान हैं- CJI
– कोर्ट आस्था नहीं सबूतों पर फैसला देती है- CJI
– अंदरूनी हिस्सा विवादित है. हिंदू पक्ष ने बाहरी हिस्से पर दावा साबित किया- CJI
– सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी जाए. यह जमीन या तो अधिग्रहित जमीन
हो या अयोध्या में कहीं भी हो- CJI
– प्राचीन यात्रियों ने जन्मभूमि का जिक्र किया है- सीजेआई
– 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे- CJI रंजन गोगोई
– समानता संविधान की मूल आत्मा है – CJI
– सीजेआई ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा विचार योग्य.
– हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए- सीजेआई
– सीजेआई रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना सरकार का काम है. अदालत आस्था से ऊपर एक धर्म निरपेक्ष संस्था हैं. 1949 में आधी रात में प्रतिमा रखी गई.
– सीजेआई ने कहा कि इतिहास जरूरी है लेकिन इन सबमें कानून सबसे ऊपर है, सभी जजों ने आम सहमति से फैसला लिया है.