रखाइन में सामूहिक कब्रों की जांच कर रही है म्यांमार सेना

यंगून: म्यांमार सेना का कहना है कि वह उत्तरी रखाइन प्रांत में मिली सामूहिक कब्रों की जांच कर रही है. संयुक्त राष्ट्र ने सैनिकों पर इस क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया था. रोहिंग्या विद्रोहियों पर अगस्त में सेना की कड़ी कार्रवाई के बाद उत्तरी रखाइन प्रांत में मुस्लिम आबादी लगभग नाममात्र रह गई है. 6,65,500 से अधिक शरणार्थी सीमा पार कर बांग्लादेश जा चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और मानवाधिकार समूहों ने म्यांमार पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर व्यवस्थित रूप से जातीय सफाई अभियान चलाने का आरोप लगाया है.

‘‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’’ ने हिंसा के पहले माह में ही कम से कम 6,700 रोहिंग्या लोगों के मारे जाने का एक अनुमान लगाया है. म्यांमार सेना ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. देर रात सोमवार को सेना प्रमुख ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि मिली जानकारी के बाद अधिकारियों को ‘‘इन डिन गांव के कब्रिस्तान में मिले अज्ञात शव’’ मिले हैं. बयान में कहा, ‘‘सुरक्षा बल के किसी भी सदस्य के इसमें संलिप्त होने पर उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.’’

बांग्लादेश और म्यांमार ने मंगलवार (19 दिसंबर) को फिर से पुष्टि की कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या समुदाय के सदस्य जनवरी से वतन वापसी शुरू करेंगे. हालांकि मानवाधिकार समूहों ने चेताया है कि उनके लौटने पर उनकी सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया गया है. बांग्लादेश और म्यांमार के विदेश सचिवों की यहां ढाका में मुलाकात हुई. वे 23 नवम्बर को हस्ताक्षर किए गए समझौते को अंतिम रूप देने के लिए मिले थे जिसमें सरहद से सटे इलाकों में स्थित शरणार्थी शिविरों में रह रहे राज्यविहीन रोहिंग्या समुदायों के सदस्यों के स्वेच्छा से लौटने की बात है.

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एक नया कार्य समूह शराणर्थियों की पहचान की सत्यापन करने के लिए एक समय सारणी बनाकर दो महीने के अंदर उनके देश लौटने की कवायद शुरू करना सुश्चित करेगा.बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.एच महमूद अली ने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि अब हम अपने कार्य का अगला कदम शुरू करेंगे.

यह बयान ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ द्वारा उपग्रह तस्वीरों का विश्लेषण जारी करने के एक दिन बाद अया है. इस मानवाधिकार समूह ने उपग्रह की तस्वीरों के हवाले से कहा है कि उनके देश वापस लौटने को लेकर बांग्लादेश के साथ समझौते पर दस्तख्त होने के कुछ ही दिनों के अंदर म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या समुदाय के दर्जनों घरों को जला दिया है.

मनावाधिकार संगठन ने कहा है कि समझौता एक दिखावटी कदम है और चेताया है कि इसमें रोहिंग्या समुदाय के सदस्यों के म्यांमार के संघर्ष प्रभावित रखाइन राज्य में लौटने पर उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं दी गई है. अगस्त में राज्यविहीन अल्पसंख्यक समुदाय के अनुमानित 655,000 सदस्य शराणर्थी के तौर पर बांग्लादेश आ गए थे. रखाइन में म्यांमार सेना की कार्रवाई को अमेरिका एवं संयुक्त राष्ट्र ने जातीय सफाया बताया है.

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