चेन्नई. सुपरस्टार रजनीकांत के पॉलिटिकल पार्टी बनाने के एलान के बाद उनके दूसरी पार्टियों से गठजोड़ को लेकर दावे शुरू हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष तमिलिसै सौदरराजन ने ट्वीट कर दावा किया, “रजनीकांत 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे, लेकिन इसके पहले वह 2019 में मोदी के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा होंगे। वह बीजेपी के नैचुरल पॉलिटिकल पार्टनर हैं और बीजेपी को आम चुनाव में जीत दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे।” बता दें कि रविवार को रजनीकांत ने कहा कि मैं पॉलिटिकल पार्टी बनाऊंगा और ये पार्टी तमिलनाडु असेंबली इलेक्शन में सभी विधानसभा सीटों पर लड़ेगी।
तमिलिसै सौदरराजन ने ट्वीट में रजनीकांत और बीजेपी के मकसद को एक बताया। उन्होंने कहा, “2019 के लोकसभा चुनाव में रजनीकांत बीजेपी को सपोर्ट करेंगे। बीजेपी और रजनीकांत का साथ एक नैचुरल अलायंस होगा। रजनीकांत करप्शन का विरोध करने के लिए पॉलिटिक्स में आ रहे हैं। यही मकसद नरेंद्र मोदी और बीजेपी का है।”
पॉलिटिकल पार्टी बनाने के एलान के वक्त ही रजनीकांत से साफ कर दिया था कि 2019 के चुनाव में वे किसका साथ देंगे। इस बात का फैसला भी वे उसी वक्त करेंगे।
दरअसल, 2014 के इलेक्शन के वक्त ही ये कहा जा रहा था रजनीकांत बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं। 2014 के बाद मोदी और रजनीकांत की मुलाकातों से भी इन कयासों को और बल मिला।
एक सीनियर पट्टालि मक्कल काची (PMK) लीडर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “रजनीकांत पहले चुनाव में 10% वोट शायद हासिल कर लें, लेकिन वे ज्यादा वक्त तक नहीं चल पाएंगे। BJP को समर्थन करने का उनका स्टैंड पहले ही सवालों के घेरे में है।”
विदुथलाई चिरुथाईगल काची (VCK) के जनरल सेक्रेटरी डी रविकुमार ने कहा, “रजनीकांत को बीजेपी ने असाइनमेंट दिया है। लेकिन वे राज्य की दूसरी पार्टियों के लिए कोई खतरा नहीं हैं, जैसे कि एमजी रामचंद्रन थे।
2014 के आम चुनाव के बाद से ही बीजेपी तमिलनाडु में एक्टिव है। जयललिता की डेथ के बाद भी यहां की राजनीति में मची उथल-पुथल को थामने में बीजेपी का बड़ा रोल रहा है। खेमों में बंटी एआईएडीएमके में सुलह करवाने में वेंकैया नायडू ने अहम रोल निभाया था। दरअसल, बीजेपी उस वक्त इलेक्शन नहीं चाहती थी, क्योंकि इससे डीएमके की सत्ता में आने की संभावनाएं बढ़ जातीं। AIADMK और DMK के अलावा तमिलनाडु में रजनीकांत के रूप में तीसरा विकल्प खड़ा हो रहा है तो बीजेपी की कोशिश उसमें अहम रोल निभाने की रहेगी।
पिछले 30 साल से तमिलनाडु की राजनीति करुणानिधि और जयललिता के इर्द-गिर्द घूमती रही है। करुणानिधि एक्टिव हैं, लेकिन अब उम्र 93 साल हो गई है। जयललिता की 5 दिसंबर 2016 को मृत्यु हो चुकी है। AIADMK के ई पलानीसामी मौजूदा सीएम हैं, लेकिन जनता में स्वीकार्यता नहीं के बराबर है। DMK के लीडर करुणानिधि के बेटे स्टालिन हैं, लेकिन लोगों में उनकी लोकप्रियता करुणानिधि जैसी नहीं है। दोनों ही अहम पार्टियों में करुणानिधि और जयललिता के कद का लीडर नहीं है। इस पॉलिटिकल वैक्यूम का फायदा रजनीकांत जैसे सुपरस्टार उठा सकते हैं। तमिलनाडु में पहले भी एक्टर्स को लोगों ने लीडर के तौर पर स्वीकार किया और सत्ता भी सौंपी।
तमिलनाडु की राजनीति DMK और AIADMK में बंटी हुई है। चुनावी नतीजों का ट्रेंड देखें तो यहां एक बार DMK तो दूसरी बार AIADMK जीतती रही है। ये ट्रेंड 2016 में बदला है। AIADMK ने 136 सीटें जीतकर दूसरी बार सरकार बनाई। कांग्रेस DMK की पार्टनर है तो बीजेपी AIADMK की।