भारत और नेपाल के संबंधों को रोटी और बेटी का नाम दिया जाता रहा है लेकिन इन दिनों नेपाल की तरफ से भारत के लिये घिनौनी साजिश की जा रही है.
नई दिल्ली: भारत और नेपाल (Indo Nepal) के संबंधों को रोटी और बेटी का नाम दिया जाता रहा है लेकिन इन दिनों नेपाल की तरफ से भारत के लिये घिनौनी साजिश की जा रही है. नेपाल अपनी सीमाए लांघ भारत की जमीन (Land Dispute) पर कब्जा करने का षड्यंत्र रच रहा है. यहां तक कई जगह कब्जा करने की खबर भी आ रही है. भारत के 30 पिलर अचानक गायब हो गए हैं. सीमा सुरक्षा बल ने जिला अधिकारी को पत्र लिखा है. लखीमपुर खीरी से इंडो नेपाल की सीमा से सटा जिला है. जिसमें गौरिफन्टा, तिकुनीया और सम्पूर्णानगर, ये सभी इलाके लखीमपुर खीरी जिले के अन्तर्गत आते हैं. नेपाल की सीमा से जुड़े हैं, जहां की कुछ जगह पर नेपाल की तरह से नो मेन्स लैंड के कई पिलर गायब किए जा चुके हैं. जिसकी खबर लगते ही ssb के अधिकारियों ने लखीमपुर खीरी के जिला अधिकारी को सूचना दी है. जिसके बाद जिला अधिकारी ने इस मामले की जानकारी शासन को भेज दी है.
चीन से मजबूत आर्थिक सहयोग के कारण हठधर्मिता पर उतर आया नेपाल
वहीं विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि नेपाली घरेलू राजनीति में उथल-पुथल, उसकी बढ़ती आकांक्षाएं, चीन से मजबूत आर्थिक सहयोग के कारण बढ़ रही हठधर्मिता और इस पड़ोसी देश से बातचीत करने में भारतीय शिथिलता के चलते नेपाल ने दोनों देशों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद को नये स्तर पर पहुंचा दिया है. नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली भू-भाग प्रदर्शित करने वाले एक नये नक्शे के संबंध में देश की संसद के निचले सदन से आमसहमति से मंजूरी लेने में सफल रही है. इस पर भारत को यह कहना पड़ा कि इस तरह का कृत्रिम क्षेत्र विस्तार का दावा स्वीकार्य नहीं है.
क्षेत्रीय महाशक्ति भारत से टकराव मोल लेने की नेपाल की तैयारियों को प्रदर्शित
नेपाली संसद में इस पर मतदान कराया जाना, दोनों देशों के बीच सात दशक पुराने सांस्कृतिक, राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों के अनुरूप नहीं हैं. यह क्षेत्रीय महाशक्ति भारत से टकराव मोल लेने की नेपाल की तैयारियों को प्रदर्शित करता है और यह संकेत देता है कि उसे दोनों देशों के बीच पुराने संबंधों की परवाह नहीं है. वर्ष 2008 से 2011 के बीच नेपाल में भारत के राजदूत रहे राकेश सूद ने कहा कि दोनों पक्षों ने संबंधों को बहुत ही खतरनाक बिंदु पर पहुंचा दिया है और भारत को काठमांडू से बात करने के लिये समय देना चाहिए था क्योंकि वह नवंबर से ही इस मुद्दे पर वार्ता के लिये जोर दे रहा है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, मुझे लगता है कि हमने संवेदनशीलता की कमी प्रदर्शित की है और अब नेपाली खुद को (हमसे) उतनी दूर ले जाएंगे, जहां से उन्हें वापस (वार्ता की मेज पर) लाना मुश्किल होगा.
If any misconception has risen among people of Nepal due to construction of road from Lipulekh to Dharchula then we'll find a solution by sitting together & having a dialogue. But I can confidently say that there can never be bitterness among Indians towards Nepal: Defence Min pic.twitter.com/h3dPCoLRoD
— ANI (@ANI) June 15, 2020
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