नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ- किसानों का ट्रैक्टर मार्च

नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। सरकार और किसान संगठनों के बीच 7 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन सकी है। सरकार कृषि कानून में संशोधन करना चाहती है, जबकि किसान रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं दिल्ली के चौतरफा बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कल यानि गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर सात जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च होगा। मार्च में तीन हजार से ज्यादा ट्रैक्टर शामिल हो सकते हैं। वहीं, किसानों ने कहा है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में किसान भी ट्रैक्टर लेकर परेड में शामिल होंगे।

7 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च को किसानों ने 26 जनवरी की रिहर्सल कहा है। किसान गुरुवार सुबह 11 बजे एक्सप्रेस-वे पर कुंडली बार्डर से केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल), टीकरी बार्डर से केएमपी, गाजीपुर बार्डर से केजीपी (कुंडली-गाजीयाबाद-पलवल)और नूंह के रेवासन से पलवल की तरफ मार्च करेंगे।

इसके साथ-साथ किसानों ने दो हफ्ते तक देश-जागरण अभियान चलाने की भी घोषणा की है। किसान छह जनवरी से लेकर 20 जनवरी तक देशभर में जनजागरण अभियान चला रहे हैं। इसके तहत किसान भाजपा नेताओं, सांसदों और मंत्रियों का घेराव करेंगे और इनके आवास के बाहर मोर्चे लगाएंगे।

वहीं, बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि हम किसानों के हित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जो किसान कृषि कानूनों का विरोध करते हैं हम उनसे चर्चा करते हैं और जो समर्थन करते हैं उनसे भी। मुझे उम्मीद है कि जो किसान संगठन कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं, वो किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए चर्चा के जरिए मुद्दों का समाधान निकालेंगे।

बता दें कि केंद्र सरकार इस साल तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों को कहना है कि ये कानून मंडी सिस्टम और पूरी खेती को प्राइवेट हाथों में सौंप देंगे, जिससे किसान को भारी नुकसान उठाना होगा।

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