बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद का बातचीत के जरिये समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था। मध्यस्थता समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एफएम कलीफुल्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू और श्रीश्री रविशंकर का नाम शामिल था।
नई दिल्ली: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच एक बार फिर से आपसी बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले पर करीब 25 दिन की सुनवाई पूरी होने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई मध्यस्थता समिति को चिट्ठी लिखकर फिर बातचीत शुरू करने की मंशा जाहिर की है। ये चिट्ठी सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी ने मध्यस्थता कमेटी को लिखी है। चिट्ठी में कहा गया है कि अगर मध्यस्थता को जारी रहने दिया जाए तो कोई नतीजा निकल सकता है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी ने कहा, “हम चाहते हैं कि एक बार फिर से सभी पक्षों के बीच मध्यस्थता शुरू की जाए। मसले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक और दो हफ्ते का और वक्त मांगा जाए ताकि इसे सुलझाया जा सके। मुद्दे को सुलझाने में हमलोगों को और ज्यादा समय नहीं लगेगा।“ सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन के मालिकाना हक की लगातार मांग करता रहा है। अब उसने समिति को मध्यस्थता के लिए पत्र लिखा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद का बातचीत के जरिये समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था। मध्यस्थता समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एफएम कलीफुल्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू और श्रीश्री रविशंकर का नाम शामिल था। समिति बनने के बाद 155 दिन तक समाधान खोजने की कोशिश भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
इस बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड की ये चिट्ठी सामने आई है। हालांकि बोर्ड को इस डेवलपमेंट की पूरी जानकारी है। यही वजह है कि चिट्ठी में ये भी साफ-साफ लिखा गया है कि वो कोर्ट का वक्त ज़ाया नहीं करना चाहते हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है और हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद मुस्लिम पक्ष शीर्ष अदालत में अपनी दलीलें रख रहा है।