मोदी सरकार ने बड़ा फ़ैसला लिया है. सरकार ने बीपीसीएल समेत 5 सरकारी कम्पनियों को पूरी तरह बेचने को मंज़ूरी दे दी है.
नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रही मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. आर्थिक मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक में सरकार ने पांच सरकारी कंपनियों को पूरी तरह बेचने का फैसला किया है. मोदी सरकार के इस फैसले पर आज संसद में हंगामा होने के आसार हैं. विपक्षी सरकार के इस कदम पर सवाल उठा सकते हैं.
भारत पेट्रोलियम लिमिटेड प्राइवेट कंपनी को बेचा जाएगा
जिन पांच कंपनियों को बेचा जान बेचे जाने का फैसला हुआ है उनमे भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड का नाम सबसे अहम है. सरकार की महा नवरत्न कंपनियों में से एक बीपीसीएल तेल के क्षेत्र में काम करने वाली एक अहम सरकारी कंपनी है. मोदी सरकार ने इस कंपनी में अपनी बाकी बची 53.29 फ़ीसदी हिस्सेदारी को पूरी तरह बेचने का फैसला किया है. इसके साथ ही कंपनी का प्रबंधन और मालिकाना हक भी सरकार के नियंत्रण से बाहर होकर इसे खरीदने वाली निजी कंपनी के हाथों में चला जाएगा. हालांकि असम के नुमालीगढ़ में स्थित कंपनी के रिफाइनरी को नहीं बेचा जाएगा. इस रिफाइनरी को किसी अन्य सरकारी कम्पनी को सौंप दिया जाएगा. कम्पनी को बेचने के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
FM Nirmala Sitharaman:Cabinet has approved strategic disinvestment of Bharat Petroleum Corporation Limited, of Govt of India share holding of 53.29% along with transfer of certain management control.This is excluding BPCL's equity share holding of 61% stake in Numaligarh Refinery pic.twitter.com/R9WxfUuXhB
— ANI (@ANI) November 20, 2019
शिपिंग कॉर्पोरेशन भी निजी हाथों में सौंपा जाएगा
इसके अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार अपनी बाकी बची 63.75 फ़ीसदी हिस्सेदारी भी बेचने जा रही है. इस कंपनी का भी प्रबंधन निजी हाथों को सौंप दिया जाएगा. सरकार ने रेलवे से जुड़ी कंपनी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का भी मालिकाना हक और प्रबंधन निजी हाथों के नियंत्रण में देने का फैसला किया है. हालांकि सरकार इस कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी नहीं बेचेगी और 24 फ़ीसदी हिस्सेदारी अपने पास ही रखेगी.
दो सरकारी कम्पनी को एनटीपीसी खरीदेगी
हालांकि इन पांच कंपनियों में से 2 कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें सरकार की ही एक बड़ी कंपनी एनटीपीसी खरीदेगी. ये दोनों कंपनियां बिजली उत्पादन के क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं. जिन दो कंपनियों को एनटीपीसी खरीदेगी उनमें टिहरी हाइडल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और नॉर्थ ईस्टर्न पावर कॉरपोरेशन शामिल हैं. सरकार को उम्मीद है कि इन पांचों कंपनियों को अगले साल मार्च के अंत तक बेचने का काम पूरा कर लिया जाएगा. यह अब तक साफ नहीं है कि इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा ?
फ़ैसले का विरोध होना तय
सरकार के इस फैसले का विरोध होना भी तय है. फिलहाल संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और संसद में कांग्रेस और लेफ्ट समेत तमाम विपक्षी दल इस फैसले का जमकर विरोध करेंगे. माना जा रहा है कि आज ही संसद के दोनों सदनों में विपक्ष इस मामले को उठा सकता है.