कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि सेंगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक रहा है. तिरुवाद
नई दिल्ली. सेंगोल सत्ता हस्तातंरण का प्रतीक न होने के दावों को तिरुवादुरै अधीनम मठ ने गलत ठहराया है. उन्होंने आधिकारिक तौर पर खंडन करते हुए कहा है कि सेंगोल 1947 को सत्ता हस्तातंरण के दौरान लॉड माउंटबेटन को दिया गया था. जिसे फिर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया. उन्होंने कहा कि हम कल दिल्ली जा रहे हैं और इसे अब पीएम मोदी को सौंपेंगे. बता दें कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि सेंगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक रहा है. तिरुवादुरै अधीनम ने कहा कि राजनीतिक पार्टी के इस तरह के बयानों से उन्हें धक्का लगा है.
मठ के प्रमुख पुजारी अंबालावाना डेसिगा परमाचार्य ने बताया कि यह हमारे उपलब्ध रिकॉर्ड सहित कई स्रोतों से यह साबित होता है कि हमें सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में एक अनुष्ठान करने के लिए आमंत्रित किया गया था. हमारे अधीनम ने राजाजी के निमंत्रण का सम्मान किया और हमने एक सेंगोल बनवाया, इसे लॉर्ड माउंटबेटन को दिया, उनसे वापस लिया और एक विस्तृत अनुष्ठान में पंडित जवाहरलाल नेहरू को भेंट किया था. इसे नेहरू को भेंट करने वाले स्वामी ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह सेंगोल स्वशासन का प्रतीक है.
अधीनम ने यह भी स्पष्ट किया की इस तरह की घटनाओं को फर्जी या झूठा कहना, हमारी विश्वसनीयता पर सवालिया निशान खड़ा करने की कोशिश करना और राजनीति के लिए सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सेंगोल के उपयोग के महत्व को कम करने की कोशिश करना बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है.
यह नवनिर्मित भवन उभरते हुए नए भारत के सामर्थ्य और क्षमताओं का प्रतीक है जो 140 करोड़ से अधिक देशवासियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करते हुए विकसित भारत के निर्माण का शक्ति केंद्र बनेगा।#MyParliamentMyPride https://t.co/gwtzz56fWB
— Om Birla (@ombirlakota) May 26, 2023
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