किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। केंद्र की सहमति के बाद 15 जनवरी को किसानों की फिर समीक्षा बैठक होगी।
नयी दिल्ली: आखिरकार 378 दिन बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। आज 11 दिसंबर को सभी अपने-अपने घर की ओर रवाना होंगे। किसानों का पहला जत्था अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा है कि वो 15 जनवरी के बाद जाएंगे। उन्होंने कहा है कि अगले चार दिनों में अधिकांश किसान चले जाएंगे। इसके लिए किसानों ने दिल्ली में डले डेरे से तिरपाल, टेंट हटाने शुरू कर दिए हैं। इसे किसान ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ इन किसानों का एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन चल रहा था। इन किसानों की मांग थी कि ये कानून किसान विरोधी है, इसे वापस लिया जाए। वहीं, केंद्र का कहना था कि वो कानून में संशोधन कर सकती है लेकिन वापस नहीं ले सकती है। हालांकि, पीएम मोदी ने 19 नवंबर को प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि संबंधी कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी। वहीं, 29 नवंबर को इससे संबंधित बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया गया। अब ये कानून वापस लिया जा चुका है। लेकिन, किसानों की कुछ और मांगे थी जिस पर कानून वापसी के बाद भी सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसके बाद किसानों की चेतावनी थी कि जब तक केंद्र सरकार इन मांगों पर विचार कर अपना स्पष्ट रूख नहीं बताती है। आंदोलन खत्म नहीं होगा।
अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। किसान आंदोलन के दौरान हुए उपचुनाव और पंचायत चुनाव में बीजेपी को नुकसान हुआ है। माना जा रहा है कि केंद्र ने इसी के मद्देनजर ये फैसला लिया है।
कानून वापसी के अलावा ये मांगे थी किसानों की
किसानों की मांग थी कि आंदोलन के दौरान देशभर में दर्ज हुए मुकदमे को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए। सरकार और किसानों के बीच में बातचीत को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का शामिल हैं। किसानों की ये भी मांग है कि आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिवार को मुआवजा दिया जाए।
15 जनवरी को फिर किसानों की बैठक
केंद्र और किसानों के बीच बनी सहमति के बाद अब 15 जनवरी को फिर से किसान संगठन ने बैठक बुलाई है। इसमें आंदोलन की समीक्षा होगी। किसानों का कहना है कि वो इस तारीख को देखेंगे कि केंद्र अपने फैसले पर कितना अमल कर पाई है। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर से आंदोलन शुरु होगा।
5 जून 2020 को केंद्र ने कृषि सुधार बिल संसद में रखा था। जिसे 17 सितंबर को पारित कर दिया गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि किसानों और उनकी मांग को नजरअंदाज करते हुए इसे आनन-फानन में बिना किसी बहस के हंगामे के बीच पास कर दिया गया। इसके बाद पंजाब में सबसे पहले इसका विरोध शुरू हुआ । बिल पारित होने के 3 दिन बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यह एक कानून बन गया। फिर 25 नवंबर को किसानों ने दिल्ली के लिए कूच कर दिया। सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों पर पहले ही रोक लगा चुकी थी। लेकिन, किसानों की मांग थी कि जब केंद्र ने कानून बनाया है तो वही इसे वापस ले सकता है।
Delhi: Farmers vacate the Singhu border area after announcing to suspend their year-long protest against the 3 farm laws & other related issues. pic.twitter.com/dFUhsviFVT
— ANI (@ANI) December 11, 2021
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