नई दिल्ली: 13 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं. हिंदू धर्म में माता-पिता को ईश्वर तुल्य माना गया है, मृत्यु के बाद माता-पिता के उद्धार के लिए श्राद्ध किया जाता है. श्राद्ध करने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक का समय निर्धारित किया गया है. इन 16 दिनों को ही पितृ पक्ष कहा जाता है. इन दिनों में हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को भोजन और जल अर्पित करते हैं.
अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है. हिन्दू शास्त्रों में देवों को प्रसन्न करने से पहले, पितरों को प्रसन्न किया जाता है.
पितृ पक्ष का महत्व
Importance of Pitru Paksha
देवताओ से पहले पितरो को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता है।देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व होता है. वायु पुराण ,मत्स्य पुराण ,गरुण पुराण, विष्णु पुराण आदि पुराणों तथा अन्य शास्त्रों जैसे मनुस्मृति इत्यादि में भी श्राद्ध कर्म के महत्व के बारे में बताया गया है.
पूर्णिमा से लेकर अमावस्या के मध्य की अवधि अर्थात पूरे 16 दिनों तक पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिये कार्य किये जाते है. पूरे 16 दिन नियम पूर्वक कार्य करने से पितृ-ऋण से मुक्ति मिलती है. पितृ श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. भोजन कराने के बाद यथाशक्ति दान – दक्षिणा दी जाती है. इससे स्वास्थ्य समृ्द्धि, आयु व सुख शान्ति रहती है. सन 2019 में श्राद्ध की तिथियों का विवरण इस प्रकार रहेगा.
पितृपक्ष तर्पण कब करें
When to do Pitru Paksha Tarpan
पितृ्पक्ष अर्थात श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या तक रहते है. इस प्रकार प्रत्येक साल में पितृ पक्ष के 16 दिन विशेष रुप से व्यक्ति के पूर्वजों को समर्पित रह्ते है. पूर्वजों का मुक्ति मार्ग की ओर अग्रसर होना ही पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है. वर्ष 2019 में निम्न तिथियों को श्राद्ध किया जा सकता है.
2019 श्राद्ध तिथियां
Dates of Shradh in 2019
दिनाँक दिन श्राद्ध तिथियाँ
13 सितंबर शुक्रवार प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर शनिवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध
15 सितंबर रविवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध
17 सितंबर मंगलवार तृतीया तिथि का श्राद्ध
18 सितंबर बुधवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
19 सितंबर बृहस्पतिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार षष्ठी तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार सप्तमी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर रविवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार नवमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार दशमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार एकादशी का श्राद्ध/द्वादशी तिथि/संन्यासियों का श्राद्ध
26 सितंबर बृहस्पतिवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध
28 सितंबर शनिवार अमावस्या व सर्वपितृ
29 अक्तूबर रविवार नाना/नानी का श्राद्ध
श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या के मध्य जो भी दान -धर्म किया जाता है. वह सीधा पितरों को प्राप्त होने की मान्यता है. पितरों तक यह भोजन ब्राह्माणों व पक्षियों के माध्यम से पहुंचता है. जिन व्यक्तियों की तिथि का ज्ञान न हो, उन सभी का श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.
चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध की विशेषता
Importance of 14th Day
ऎसे सभी जो आज किसी कारण वश हमारे मध्य नहीं तथा इस लोक को छोड कर परलोक में वास कर रहे है, तथा इस लोक को छोडने का कारण अगर शस्त्र, विष या दुर्घटना आदि हो तो ऎसे पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है. व चतुर्दशी तिथि में लोक छोडने वाले व्यक्तियों का श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का विधान है.