राम माधव ने कहा कि कश्मीर के लोगों से जुड़ना हम सभी की जिम्मेदारी है क्योंकि वे एक ऐसे समाज में रहे हैं जिनके मन में पिछले 50-60 सालों में अलगाववादी विचार भरे गए.
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने पाक अधिकृत कश्मीर (PKO) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आज जो कुछ भी हमारे पड़ोसी (पाकिस्तान) के कब्जे में है वह भी हमारा है और वह हम तक आ जाएगा. माधव ने इस दौरान देशवासियों से एक अनुरोध भी किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों से जुड़ना हम सभी की जिम्मेदारी है क्योंकि वे एक ऐसे समाज में रहे हैं जिनके मन में पिछले 50-60 सालों में अलगाववादी विचार भरे गए. साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय होने के नाते हमें कश्मीर को पाकिस्तान के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. बता दें कि भाजपा नेता “नया भारत, नया कश्मीर” विषय पर रखे गए एक कार्यक्रम में बोल रहे रहे थे जिसका आयोजन पार्टी की एर्नाकुलम जिला समिति ने यहां किया था.
गौरतलब है कि राम माधव से पहले केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने भी पीओके को लेकर बयान दिया था. उन्होंने भारतीय मानचित्र को दोबारा बनाए जाने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था कि हम नया मानचित्र तैयार करें जिसमें न सिर्फ पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) शामिल हो, बल्कि गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत के हिस्से के रूप में प्रदर्शित हो. एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि जब हम अपनी सीमाओं की बात करते हैं, वे सिर्फ हमारी सीमाएं नहीं होतीं. हमारी सीमाएं उससे कहीं आगे तक हैं.जब मैं कहता हूं,भारत का मानचित्र फिर बनाया जाए, तब हमें सिर्फ पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) ही नहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान को भी शामिल कर लेना चाहिए.”
जम्मू एवं कश्मीर के सीमांत गांवों में केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य योजनाओं का ज़िक्र करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा था कि वह ‘विपरीत विचारधारा’ के लोगों के साथ चर्चा करना चाहेंगे. उन्होंने कहा था कि यह शोध का मुद्दा है कि ये लोग सेना को क्यों कोसते हैं, जो उनकी रक्षा करती है. आज, हम उस स्थिति में हैं कि उनसे सवाल कर सकें. हमें अपने संसाधन उन लोगों पर क्यों बर्बाद करने चाहिए, जो देश के दुश्मन हैं…”
सीमा सुरक्षा की पहली पंक्ति कहे जाने वाले स्थानीय लोगों को सुरक्षित रखने का ब्लूप्रिंट पेश करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सहसरकार्यवाह कृष्णगोपाल ने कहा था कि यह उत्तरदायित्व उन लोगों का है, जो शहरों में रहते हैं. उन्होंने कहा था कि सीमा की रक्षा की पहली पंक्ति, यानी स्थानीय लोगों – की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके, यह ज़िम्मेदारी शेष भारत की है… आपको वहां जाकर अपनी सेवाएं प्रदान करना सुनिश्चित करना होगा… सरकार अकेले यह नहीं कर सकती है…”
RSS देश के सीमाई इलाकों के साथ मज़बूत रिश्ता कायम किए जाने की वकालत करता रहा है, और देश के अन्य इलाकों में रहने वाले नागरिकों से इन इलाकों के नियमित दौरे करने व सतर्क रहने के लिए कहता रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी अकेले सरकार पर नहीं छोड़ी जा सकती.
कृष्णगोपाल ने कहा था कि शेष भारत के लोगों को अपनी सेवाएं उन (सीमांत इलाकों में रहने वाले) लोगों को देनी होंगी, भले ही वे इसके लिए आग्रह नहीं करें. उन्होंने कहा, “इन 11,000 गांवों को तीर्थ मानकर यात्रा करें, दान करें, और सेवा करें, वे आपके हो जाएंगे…”