नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी एएनआई को इंटरव्यू दिया। शाह ने कहा- जनगणना और एनपीआर दोनों साथ चलने वाली प्रक्रियाएं हैं। यह 10 साल में होती हैं। 2011 में हुई थीं तो 2021 में होना जरूरी है। एनपीआर हमारे घोषणा पत्र का एजेंडा नहीं है। यह यूपीए सरकार का कानून है और यह अच्छी प्रक्रिया है। इसके लिए लाखों लोगों को ट्रेनिंग दी जानी है। हर राज्य में दफ्तर बनाए जाने हैं। हम अभी नहीं करेंगे तो यह समय से पूरा नहीं होगा। डेढ़ साल की प्रक्रिया है। अभी भी हम थोड़ा लेट हो गए हैं।
#WATCH Home Minister Amit Shah to ANI on reports of police brutality during protests against #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/AvbtilNDwF
— ANI (@ANI) December 24, 2019
अमित शाह ने कहा- एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है
‘एनआरसी और एनपीआर में कोई संबंध नहीं है। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दोनों अलग-अलग चीजें हैं। एनआरसी बहस का मुद्दा नहीं है, क्योंकि अभी इसे देशभर में लागू करने पर कोई विचार नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा कि इस पर अभी कैबिनेट या संसद में कोई बात नहीं हुई है।’
‘एनपीआर जनसंख्या के आधार पर योजनाओं का आकार और आधार बनता है। एनआरसी में लोगों से नागरिकता का सबूत मांगा जाता है। एनपीआर के लिए जो प्रक्रिया चलेगी, वह एनआरसी से संबंधित नहीं है। एनपीआर भाजपा ने नहीं शुरू किया है।’
‘2004 में यूपीए सरकार ने कानून बनाया था, जिसके तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई। 2010 में जनगणना के वक्त इस प्रक्रिया को शुरू किया गया। सरकार कुछ नया नहीं लाई है। एनपीआर का कोई डेटा एनआरसी के उपयोग में आ ही नहीं सकता है। एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। अगर कोई जानकारी मौजूद नहीं है तो कोई बात नहीं।’
‘कुछ चीजें एनपीआर में नई हैं। इनके आधार पर योजनाओं का खाका बनता है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो वह गरीबों का विरोध कर रहा है। गुजरात में ओडिशा, यूपी, बिहार से लोग बस गए हैं। अब इन लोगों के लिए कोई योजना बनानी है तो इसका आधार क्या होगा कि ऐसे कितने लोग हैं।’
‘ओवैसी साहब से हम कहेंगे कि सूर्य पूर्व में उगता है तो वे कहेंगे कि पश्चिम में उगता है। लेकिन, मैं उन्हें भी आश्वस्त करता हूं कि इसका एनआरसी से लेनादेना नहीं है। कितने साल से रह रहे हैं, लोगों से यह इसलिए पूछा जाता है ताकि योजना कोई हो तो उसमें जानकारी का इस्तेमाल हो। अगर अल्पसंख्यकों को डराने का काम न किया गया होता तो उन्हें लाभ अब तक मिल जाता।’
‘शाह ने कहा- 2015 में इसका अपडेशन किया गया था, लेकिन 10 साल में देश में उथल-पुथल मच जाती है। वो करें तो समस्या नहीं, हम करें तो समस्या है।’
‘उन्होंने कहा- नागरिकता संशोधन कानून में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है, नागरिकता देने का प्रावधान है। देश के मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है। एनपीआर का नोटिफिकेशन 31-7-2019 को भेज दिया था। बहुत सारे राज्यों ने नोटिफाई किया था। सीएए के लिए जनता के मन में भय दूर हो गया है इसलिए कुछ लोग एनपीआर का भय खड़ा करना चाहते हैं।’
‘शाह ने कहा- बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों से निवेदन करना चाहता हूं कि एनपीआर का विरोध न करें, ऐसा कदम न उठाएं। गरीब जनता को विकासशील कार्यक्रमों से दूर न रखें, उन्हें जोड़ें। इसका एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है।’
‘शाह ने कहा- राजनीति और कम्युनिकेशन में अंतर है। हमने नोटिफिकेशन निकाला, सभी राज्यों ने उसे नोटिफाई किया। राजनीति यह है कि नया कुछ आ रहा है और इस पर भ्रम फैला दो। लोग नहीं समझते हैं, उन्हें समझाया जाता है।’
‘उन्होंने सीएए पर एक हफ्ते तक प्रदर्शन पर कहा- कम्युनिकेशन में कुछ खामी रही होगी। लेकिन, मेरा संसद का भाषण देख लीजिए कि किसी की नागरिकता जाने का प्रावधान ही नहीं है। भाषणों में ही स्पष्ट किया था कि नागरिकता देने का बिल है, लेने का नहीं। लेकिन, लोगों को भड़काया गया। एक के बाद एक जगहों पर हिंसा हुई, लेकिन मानता हूं कि यह अच्छा है कि जनता समझ गई।’
‘शाह ने कहा- यह पूरी प्रक्रिया कांग्रेस के बनाए कानून के हिसाब से हो रही है। कांग्रेस यह पूरी प्रक्रिया 2010 में कर चुकी है। एनपीआर का एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है।’
‘उन्होंने कहा- हमने एक ऐप बनाया है, जिस पर लोग अपनी जानकारी भरकर भेज सकते हैं। इसका कोई पैसा नहीं लगना है। जो जानकारी भेजी जाएगी, उसके आधार पर रजिस्टर बनाया जाएगा और इसी आधार पर भविष्य की योजनाएं का खाका खींचा जाएगा। आधार का नंबर है तो देने में क्या हर्ज है।’
‘शाह ने कहा- एनपीआर के डाटा का इस्तेमाल एनपीआर के लिए किया जाएगा, ये अफवाहें हैं। मुस्लिम भाई ऐसी किसी अफवाह में न पड़ें, ये केवल भ्रम फैलाया जा रहा है। अब एक विवाद शांत हो गया है तो दूसरा विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है।’
‘उन्होंने कहा- जनगणना और एनपीआर दोनों साथ चलने वाली प्रक्रियाएं हैं। यह 10 साल में होती हैं। 2011 में हुई थीं तो 2021 में होना जरूरी है। एनपीआर हमारे घोषणा पत्र का एजेंडा नहीं है। यह यूपीए सरकार का कानून है और यह अच्छी प्रक्रिया है।’
‘शाह ने कहा- इसके लिए लाखों लोगों को ट्रेनिंग दी जानी है। हर राज्य में दफ्तर बनाए जाने हैं। हम अभी नहीं करेंगे तो यह समय से पूरा नहीं होगा। डेढ़ साल की प्रक्रिया है। अभी भी हम थोड़ा लेट हो गए हैं।’
‘उन्होंने कहा- सीएए पर मैंने सबसे शांति बनाने की अपील की थी। शांति बनाने के लिए हमने राज्यों से संवाद किया था। अब शांति है। मेरा इतना ही कहना है कि सीएए के लिए भ्रांति फैलाई गई, ऐसी भ्रांति सीएए के लिए नहीं फैलानी चाहिए। सीएए का सबसे बड़ा विरोध कहीं से होना था तो वह नॉर्थ ईस्ट और बंगाल था। वहां ऐसा तुलनात्मक रूप से कुछ नहीं हुआ। जिन राज्यों का सीएए से लेना-देना नहीं था, वहां राजनीतिक आंदोलन चलाया गया। ऐसे मुद्दों को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।’
‘शाह ने कहा- पुलिस को ट्रेनिंग दी जाती है। जब कोई बस जलाता है और यात्री जल जाएं तो क्या होगा। एक दुकान जला दी, कोई बैठा है तो उनका क्या होगा। फायरिंग करने की नौबत तब आती है, जब किसी की जान खतरे में आती है। अगर वह नहीं करेगा, तो उसका कर्तव्य पूरा नहीं होता।’
‘प्रधानमंत्री के डिटेंशन सेंटर वाले बयान पर शाह ने कहा- डिटेंशन सेंटर बने हैं। वह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। दुनिया का कोई भी नागरिक यहां घुसता रहे, यह ठीक नहीं। कोई नागरिक आता है, जिसे यहां रहने की इजाजत नहीं है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। डिटेंशन सेंटर और एनआरसी का कोई लेनादेना नहीं है। अभी जो डिटेंशन सेंटर चर्चा में आया है, वह अवैध प्रवासियों के संंबंध में है। असम के एनआरसी में कुछ की पहचान हो गई तो सभी को सरकार ने 6 महीने का वक्त दिया है कि फॉरेन ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखे और उसे वकील की सुविधा भी दी जाएगी।’
‘शाह ने कहा- हमने किसी को डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा। यह अफवाह फैलाई जा रही है। अमेरिका में कोई नागरिक पकड़ा जाएगा तो उसे कहां रखा जाएगा। वहां भी ऐसी व्यवस्था है। ऐसे नागरिकों को कहीं तो रखना पड़ेगा। ऐसा डिटेंशन सेंटर एक असम में बना हुआ है और वह सालों से है। मोदी सरकार आने के बाद कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बना है। असम के लिए कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बना है।’