नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम एक खुला पत्र लिखा है

कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम एक खुला पत्र लिखा है। कृषि मंत्री ने 8 पन्नों के अपने पत्र में केंद्र के नए कृषि कानूनों की खूबियां गिनाई हैं।

नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर 22 दिन से जारी किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम एक खुला पत्र लिखा है। कृषि मंत्री ने 8 पन्नों के अपने पत्र में केंद्र के नए कृषि कानूनों की खूबियां गिनाई हैं। अपने पत्र में कृष मंत्री ने दोहराया है कि सरकार एमएसपी पर लिखित गारंटी देने को तैयार है, साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों में कृषि कानूनों को लेकर भ्रम पैदा किया गया है।

भ्रम दूर करने के लिए लगातार बात कर रहे हैं

तोमर ने कहा कि तीन कृषि सुधार कानून भारतीय कृषि में नये अध्याय की नींव बनेंगे, किसानों को और स्वतंत्र करेंगे, सशक्त करेंगे। तोमर ने किसानों को लिखे पत्र में कहा ‘किसी भी बहकावे में आए बिना तथ्यों के आधार पर चिंतन मनन करें, हर आशंका को दूर करना सरकार का दायित्व है।’ तोमर ने अपने पत्र में कहा है, ‘मैं लगातार आपके (किसानों) के संपर्क में हूं, बीते दिनं मेरी अनेक राज्यों के किसान संगठनों से बातचीत हुई है। कई किसान संगठनों ने इन कृषि सुधारों का स्वागत किया है। वे इससे बहुत खुश है, किसानों को एक नई उम्मीद जगी है।” वह लिखते हैं, “लेकिन इन कृषि सुधारों का दूसरा पक्ष यह भी कुछ किसान संगठनों में इन्हें लेकर एक भ्रम पैदा कर दिया गया है।”

सरकार एमएसपी पर लिखित में आश्वासन देने को तैयार

किसानों के नाम अपने 8 पन्ने के पत्र में तोमर ने कहा है कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना किसी भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया। पिछले छह वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है। तोमर ने कहा कि सरकार एमएसपी पर लिखित में आश्वासन देने को तैयार है। उन्होंने एक बार फिर साफ किया कि एमएसपी जारी है और जारी रहेगी।

1962 की जंग में देश के खिलाफ खड़े लोग किसानों को गुमराह कर रहे

किसान आंदोलन के 22वें दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने पत्र में किसानों की चिंताएं दूर करने के साथ ही विपक्ष का मोहरा न बनने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने 1962 के युद्ध में देश की विचारधारा का विरोध किया था, वही लोग किसानों को पर्दे के पीछे से गुमराह कर रहे हैं, आज वे फिर से 1962 की भाषा बोल रहे हैं। पत्र में तोमर ने लिखा है कि कुछ लोग किसानों के बीच लगातार झूठ फैला रहे हैं। किसानों को उनकी बातों में नहीं फंसना चाहिए। पत्र में कृषि कानूनों को लेकर फैलाए गए झूठ पर सफाई भी दी गई है।

बता दें केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि इन कानूनों को रद्द कर दिए जाए। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है।

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