वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को उनके ईमानदार वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करने का आश्वासन देते हुये शनिवार (28 दिसंबर) को कहा कि सरकार ने ऐसे मामलों में जांच एजेंसियों की प्रताड़ना संबंधी चिंताओं को कम करने के उपाय करने का फैसला किया है। वित्त मंत्री ने इस अवसर पर देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये एक जनवरी 2020 से रुपे कार्ड और यूपीआई के जरिये लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क नहीं लिये जाने के बारे में भी जानकारी दी।
सीतारमण ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक में अधिकारियों को आश्वस्त किया कि ईमानदारी के साथ लिये गये व्यावसायिक फैसलों के गलत हो जाने और आपराधिक मामलों में फर्क किया जाएगा। इस बैठक में सीबीआई के अधिकारी भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा, ”बैंक चिंता के ऐसे दौर से गुजरे हैं जहां तीन-सी के भय से निर्णय लेना मुश्किल हो रहा था। इस बात को लेकर चिंताएं थीं और इस तरह के मामलों पर काम कर रही इन एजेंसियों के कारण होने वाली अनावश्यक परेशानियों व प्रताड़नाओं से बचने के लिये बैंक सही निर्णय भी नहीं ले पा रहे थे।”
सीबीआई, कैग और सीवीसी को सामान्य तौर पर तीन-सी के नाम से जाना जाता है। वित्तमंत्री ने कहा, ”अत: हमने इस बारे में कुछ निर्णय लिये हैं और प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करने के लिये बैठक में सीबीआई निदेशक की उपस्थिति में बैंकों के साथ कुछ चर्चाएं की। सीबीआई निदेशक ने कुछ भ्रमों तथा आपत्तियों को लेकर स्थिति को स्पष्ट किया।” उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों के मन की आपत्तियों तथा भ्रमों को दूर करने के लिये सीबीआई बातचीत करेगी तथा कार्यशालायें आयोजित की जायेंगी। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व सतर्कता निदेशालय और सीमा शुल्क विभाग भी इस तरह की प्रक्रिया अपनाएंगे ताकि बैंक अधिकारियों के मन में व्याप्त भय को दूर किया जा सके।
सीतारमण ने सरकारी बैंकों को कथित गलत कार्यों के लिये उनके अधिकारियों के खिलाफ लंबे समय से लंबित सकर्तता मामलों को निपटाने को भी कहा। उन्होंने कहा, ”बैंकों को महाप्रबंधक की अगुवाई में एक समिति गठित करनी चाहिये और इस समिति को या तो समयसीमा के भीतर मामले में निर्णय लेना चाहिये या इन्हें बंद करना चाहिये। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि सरकारी बैंक धोखाधड़ी के मामलों को सीबीआई द्वारा दिये गये ईमेल आईडी से ऑनलाइन प्राथमिकी के जरिये भी दर्ज करा सकते हैं। सीबीआई को एक अलग फोन नंबर की भी व्यवस्था करनी होगी, जिसपर कोई भी व्यक्ति जांच एजेंसी द्वारा किये जा रहे अनाधिकृत उत्पीड़न की जानकारी दे सके।
सीतारमण ने समीक्षा बैठक के बाद कहा कि राजस्व विभाग शीघ्र ही रुपे और यूपीआई को डिजिटल लेन-देन के तहत बिना एमडीआर शुल्क वाले माध्यम के तौर पर अधिसूचित करेगा। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग 50 करोड़ रुपये या इससे अधिक के कारोबार करने वाली सभी कंपनियों को रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये भुगतान की सुविधा मुहैया कराने को कहेगा। सीतारमण ने कहा, ”विभिन्न संबंधित पक्षों, बैंकों आदि से गहन परामर्श के बाद मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बजट में की गयी घोषणा को अमल में लाने के लिये एक जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होगी। अधिसूचित माध्यमों के जरिये भुगतान पर एमडीआर शुल्क नहीं लिया जायेगा।”
एमडीआर वह लागत है जो कि कोई कारोबारी उसके ग्राहक द्वारा डिजिटल माध्यम से किये गये भुगतान को स्वीकार करने वास्ते बैंक को देता है। यह राशि लेनदेन राशि के प्रतिशत के रूप में होती है। सरकार के इस कदम से स्वदेश में विकसित डिजिटल भुगतान माध्यमों रुपे और यूपीआई को विदेशी कंपनियों के भुगतान गेटवे पर बढ़त मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिये पहले ही दो कानूनों आयकर अधिनियम और भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम में संशोधन कर चुकी है।
इस बैठक में इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी तथा निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। वित्त सचिव, राजस्व सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सीबीआई के निदेशक, रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि तथा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे। वित्त मंत्री ने इस मौके पर ऋण की किस्तें चुकाने में चूक करने वालों की जब्त संपत्ति की नीलामी के लिये एक साझा ई-नीलामी मंच की भी शुरुआत की। उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार इस मंच पर कुल मिलाकर 35,000 संपत्तियों का ब्योरा डाला जा चुका है। पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल मलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं।