नई दिल्ली: सरकार ने कंपनियों को नियम से काम करने का कठोर संदेश देते हुए मंगलवार (26 दिसंबर) को कहा कि नियमों का अनुपालन न करना उन्हें ‘बड़ा महंगा’ पड़ सकता है और कंपनियों का गलत मकसद से इस्तेमाल रोकने के खतरनाक काम पर अंकुश के लिए सशक्त निषेधात्मक उपाय जाएंगे. धन के गैरकानूनी प्रवाह को रोकने के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने पहले ही 2.24 लाख कंपनियों को बंद कर दिया है. ये कंपनियां लंबे समय से परिचालन में नहीं थीं. इसके अलावा इन कंपनियों से जुड़े तीन लाख से अधिक निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. कॉर्पोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि कानूनी तरीके से काम कर रही कंपनियों के लिए चीजों को सरल किया गया है. वहीं गैरकानूनी कारोबारी गतिविधियों पर अंकुश के लिए प्रावधान कड़े किए गए हैं.
श्रीनिवास ने कहा, ‘‘अनुपालन करना बहुत आसान, अनुपालन नहीं करना बहुत महंगा होना चाहिए. गैरकानूनी कारोबार के लिए कड़े अंकुश होने चाहिए. जो लोग कंपनियों का इस्तेमाल गलत कार्य के लिए करेंगे उनके लिए यह बहुत खतरनाक कदम होगा.’’ संदिग्ध मुखौटा कंपनियों के खिलाफ वर्तमान में चल रही कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि जांच का काम तेजी से किया जा रहा है. श्रीनिवास ने कहा, ‘‘यदि आप अभियोजन के लिए जाते हैं तो यह एक अंकुश का काम करेगा. सजा का प्रावधान आवश्यक रूप से सिर्फ आपराधिक तथा धोखाधड़ी से जुड़े मामलों तक सीमित रहना चाहिए.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या सही ढंग से काम कर रही इकाइयों को भी इस वजह से परेशानी नहीं झेलनी पड़ रही है, श्रीनिवास ने कहा कि ऐसी कंपनियों को किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि जांच शुरुआती छानबीन के बाद ही शुरू होती है.
उन्होंने कहा कि इस तरह की बड़ी प्रक्रिया में कुछ सामूहिक नुकसान असामान्य नहीं है. यह पूरी तरह से दुरुस्त नहीं हो सकता. लेकिन हमारा प्रयास पूरी तरह केंद्रित है और इस बात की पूरी कोशिश हो रही है कि सही ढंग से काम करने वाली कंपनियों को किसी तरह की असुविधा न हो. डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों को ब्योरा जमा कराने के लिए तीन महीने की सुविधा के बारे में उन्होंने कहा कि मंत्रालय इस विलंब योजना का ब्योरा लेकर आएगा. यह सुविधा एक जनवरी से 31 मार्च, 2018 तक होगी.