Odisha New CM: गांव के प्रधान से प्रदेश के मुख्यमंत्री तक, जानें चौकीदार के बेटे मोहन चरण माझी ने कैसे तय किया संघर्ष से भरा ये सफर
New Delhi:
Odisha New CM: बाबा जगन्नाथ के धाम यानी ओडिशा में अब नवीन पटनायक के ढाई दशक के शासनकाल का अंत हो चुका है. यहां विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भारी मतों से जीत हासिल कर नई सरकार बनाने जा रही है. ओडिशा के 15वें मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी ने जिस चेहरे को चुना है उनका नाम है मोहन चरण माझी. ओडिशा के अगले सीएम के तौर पर मोहन चरण माझी बुधवार 12 जून को शपथ ले रहे हैं. माझी आदिवासी समुदाय से आते हैं और बीते तीन दशक से वह राजनीति में सक्रिय हैं. पहले संबित पात्रा, धमेंद्र प्रधान और ओडिशा बीजेपी अध्यक्ष अपराजिता सांगली के नामों की चर्चा जोरों पर थी, कि बीजेपी इनमें से किसी एक को सीएम बना सकती है, लेकिन हर बार की तरह एक बार फिर मोदी सरकार ने मोहन चरण माझी के नाम का ऐलान कर सभी को चौंका दिया. आइए जानते हैं कौन हैं मोहन चरण माझी जिसके सहारे अब ओडिशा की राजनीति में बीजेपी अपनी कदम बढ़ाएगी.
कौन है मोहन चरण माझी
6 जनवरी 1972 को जन्मे मोहन चरण माझी का क्योंझर से खास नाता रहा है. मोहन चरण माझी के पिता पेशे से चौकीदार थे. एक गरीब परिवार में जन्मे मोहन ने कभी सोचा नहीं होगा कि एक दिन वह प्रदेश के मुखिया चुने जाएंगे. हालांकि उनका अब तक का सफर बहुत चुनौतियों से भरा रहा है. आदिवासी बहुल समुदाय से जुड़े मोहन चरण माझी खनिज संपन्न केंदुझर जिले के आदिवासी नेता के रूप में भी जाने जाते हैं. चौकादार का बेटा होने की वजह से उनका शुरुआती सफर काफी मुश्किलों भरा रहा.
गांव के प्रधान के तौर पर पहली जिम्मेदारी
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद माझी ने स्नातक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने राजनीति के पिच पर जमने के लिए गांव के प्रधान के तौर पर लोक कल्याण की शुरुआत की. 1997 से 2000 तक माझी गांव के प्रधान रहे और लोगों के लिए काम किया. इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और वर्ष 2000 में ही वह विधायक चुने गए. इस दौरान उन्होंने आदिवासी मोर्चा के सचिव के तौर पर काम करते हुए दोहरी भूमिका निभाई.
हालांकि माझी ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और विधायक रहते हुए उन्होंने 2011 में ढेंकनाल लॉ कॉलेज उत्कल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट LLB और सैम होइगॉन बोहोम इंस्टीट्यूट एट टेक्नोलॉजी एंड साइंस से मास्टर्स पूरा किया.
संघ से रहा खास रिश्ता
अपनी स्टू़डेंट लाइफ में ही मोहन आरएसएस से जुड़ गए. इस जुड़ाव के साथ-साथ मोहन जनसाधारण से भी जुड़ते चले गए और आदिवासी समुदाय के लिए काम करते गए, इसका नतीजा यह रहा कि बतौर विधायक माझी ने चार चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. यही वजह है कि उन्हें प्रदेश की शानस प्रणाली की बारीकी से समझ है. कहा जाता है कि प्रदेश में बीजेपी की नीतियों को आकार देने में भी माझी का अहम योगदान रहा है.
जब स्पीकर के पोडियम पर फेंक दी थी दाल
बतौर विधायक मोहन चरण माझी काफी दबंग रहे. बीते वर्ष ही उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान स्पीकर के पोडियम पर दाल फेंक दी थी. हालांकि उनकी इस हरकत की वजह से उन्हें निलंबित कर दिया गया था. वहीं माझी और उनके सहयोगी लगातार इस बात से इनकार करते रहे कि उन्होंने दाल फेंकी थी. उनका कहना था कि उन्होंने स्पीकर दाल भेंट की थी.
कितनी संपत्ति के मालिक हैं मोहन माझी
मोहन चरण माझी की संपत्ति की बात की जाए तो चार बार एमएलए रहे माझी के पास कुल 2 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई जाती है. MyNeta.info पर एसेंबली इलेक्शन 2024 के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में मोहन माझी ने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा दिया है. माझी के पास कुल चल-अचल संपत्ति 1.97 करोड़ रुपए है, यही नहीं उनके ऊपर 95.58 लाख रुपए का लोन भी है.
9 बैंक खाते
माझी के कुल 9 बैंक खाते हैं. इनमें पति-पत्नी के नाम पर 10 लाख 92 हजार रुपए जमा किए हैं. इसके अलावा उनकी पत्नी के नाम पर SBI बैंक एक एफडी है जिसकी वैल्यू 51 लाख रुपए है.
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