उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा सोमवार को जारी किया। इसमें ग्राहकों के रिफंड के आवेदन को 14 दिन में पूरा करने का नियम शामिल है।मसौदे के मुताबिक, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों को वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं का ब्योरा अपनी वेबसाइट पर दर्शाने और उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे की पूरी प्रक्रिया स्पष्ट करनी होगी।
कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत पहचान वाली सूचनाओं को सुरक्षित रहें। मसौदे पर 16 सितंबर तक अंशधारकों से टिप्पणियां मांगी हैं। सरकार क्षेत्र के संपूर्ण विकास के लिए राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति लाने की योजना बना रही है। ई-कॉमर्स कंपनियों को भारतीय कानून के तहत पंजीकृत होना चाहिए और सभी दिशानिर्देशों को लागू करने की स्वघोषणा उन्हें करनी होगी।
कंपनी का कोई प्रवर्तक या प्रबंधकीय अधिकारी किसी आपराधिक मामले में सजायाफ्ता नहीं हों। लोकलसर्किल के संस्थापक सचिन तपारिया ने कहा कि मौजूदा समय में ग्राहक नकली उत्पादों के मामले में कंपनियों को जवाबदेह नहीं ठहरा पाते। इसमें कीमतों में छेड़छाड़ और उत्पादों के रिव्यू में गड़बड़ी जैसी परेशानियों का हल है।
* 01 माह में निपटारा करना होगा शिकायत का ग्राहक से आवेदन मिलने के बाद।
* 16 सितंबर तक सभी संबंधित पक्षों से राय मांगी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने।
अहम प्रावधान
* कीमतों में छेड़छाड़ या सस्ती दर पर उत्पाद नहीं बेच सकेंगी कंपनियां।
* उत्पाद और सेवा पर दी गई गारंटी-वारंटी से पल्ला नहीं झाड़ सकेंगे।
* उत्पादों व सेवाओं के रिव्यू में गड़बड़ी नहीं कर सकेंगी कंपनियां।
* शिकायत अधिकारियों और उनका नंबर वेबसाइट पर देना जरूरी होगा।