पाकिस्तान: में टीवी एंकरों के ओपिनियन देने पर लगी रोक

पाकिस्तान के सभी मीडिया घरानों को कहा गया है कि वे शो में मेहमानों के चयन में सतर्कता बरते. विषय पर उनके ज्ञान को भी ध्यान में रखें. पीईएमआरए ने एंकरों को निर्देश दिया कि वे अपने या दूसरे चैनल के शो में एक्सपर्ट की तरह पेश न हों.

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक ने ‘टॉक शो’ के दौरान टीवी एंकरों के राय (ओपिनियन) देने पर रोक लगा दी है. उनकी भूमिका महज संचालन करने तक सीमित कर दी है. सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. पाकिस्तान की डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, रविवार को जारी किये गए आदेश में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटर अथॉरिटी (पीईएमआरए) ने एंकरों को निर्देश दिया कि वे अपने या दूसरे चैनलों के टॉक शो में एक्सपर्ट की तरह पेश न हों.

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पीईएमआरए की आचार संहिता के मुताबिक एंकर की भूमिका कार्यक्रम का संचालन निष्पक्ष, तटस्थ और बिना भेदभाव के करने की है और उन्हें किसी मुद्दे पर व्यक्तिगत राय, पूर्वाग्रहों या फैसला देने से खुद को अलग रखना है. खबर में आदेश का हवाला देते हुए कहा गया, “इसलिये, नियमित रूप से खास शो का संचालन करने वाले एंकरों को अपने या किसी दूसरे चैनल के टॉक शो में बतौर विषय एक्सपर्ट पेश नहीं होना चाहिए.”

नियामक निकाय ने मीडिया घरानों को निर्देश दिया कि वे टॉक शो के लिये मेहमानों का चयन बेहद सतर्कता से करें और ऐसा करने के दौरान उस खास विषय पर उनके ज्ञान और विशेषज्ञता को भी ध्यान में रखें. खबर में कहा गया कि इस्लामाबाद हाई कोर्ट की तरफ से 26 अक्टूबर को दिये गए एक आदेश के बाद सभी सैटेलाइट टीवी चैनलों को यह आदेश जारी किया गया.

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कोर्ट ने शहबाज शरीफ बनाम सरकार के मामले में अलग-अलग टीवी टॉक शो पर संज्ञान लिया, जहां एंकरों ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए न्यायपालिका और उसके फैसलों की छवि दुर्भावनापूर्ण मंशा से धूमिल करने की कोशिश की. इसमें कहा गया, “कोर्ट ने ऐसे उल्लंघनों पर पीईएमआरए द्वारा की गई कार्रवाई और सजा पर रिपोर्ट मांगी.”

पीईएमआरए ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस बात पर भी संज्ञान लिया कि कुछ एंकर/पत्रकारों ने 25 अक्टूबर को कुछ टीवी चैनलों पर कयासों के आधार पर डिबेट की और आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 26 अक्टूबर को जमानत देने के संदर्भ में एक कथित डील हुई है.

इसमें कहा गया, “ऐसा माना गया कि यह माननीय उच्च न्यायालय की छवि और अक्षुण्णता को धूमिल करने और उनके फैसले को विवादित करने का प्रयास है.” इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामले में 26 अक्टूबर को मंगलवार को जमानत दे दी थी. शरीफ इस मामले में सात साल कैद की सजा काट रहे थे.

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