इस कोर्ट में मुंबई हमले के अलावा शायद ही कोई अन्य मामला हो जिसकी सुनवाई आठ साल बाद भी चल रही हो। एक वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार एटीसी में सुनवाई का मतलब है केस पर तेजी से फैसला आना मगर इस मामले में एटीसी किसी अन्य समान्य कोर्ट की तरह कार्रवाई कर रही है जहां सालों तक मामले लटके रहते हैं। यह दिखाता है कि सरकार को इस मामले के जल्द सुनवाई या फैसले में कोई रुचि नहीं है।
अधिवक्ता के अनुसार यह मामला सालो पहले तय हो गया होता अगर यह भारत से जुड़ा हुआ ना होता। पाकिस्तान अदालत और संवैधानिक कर्तव्य की दुहाई देकर हाफिज सईद की रिहाई को न्यायसंगत ठहराने का प्रयास कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मोबीन अहमद काजी ने बताया कि एटीसी में यह मामला काफी पहले तय हो जाना चाहिए था।
उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि पाकिस्तान इस आपराधिक मामले की सुनवाई को लेकर इतना लंबा वक्त क्यों ले रहा है क्योंकि आठ साल का वक्त बहुत ज्यादा होता है और इतने समय में सबूत भी नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत इस मामले में ठोस सबूत उपलब्ध नहीं कराता है तो संदिग्धों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर देना चाहिए। कहा, कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबावों के चलते मामले को लटकाए हुए है ताकि वह संदिग्धों को बिना सबूतों के भी जेल में रख सके।