आर्मेनिया-अजरबैजान युद्ध में पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स की एंट्री

नई दिल्‍ली: आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच एक बार फिर युद्धविराम का ऐलान तो हो गया, लेकिन न धमाके रूके और न ही आम नागरिकों पर हमले। खबर ये कि इस इलाके में कत्लेआम के पीछे पाकिस्तानी चाल है। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि नागोरनो-काराबाख में जो कुछ हो रहा है, वो पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स का किया धरा है। अब तो ये आतंकी लूटमार के लिए लोगों के घरों में घुस रहे हैं।

इस जंग में अब दुश्मन को हराना मकसद नहीं है, सिर्फ उन्हें मारना मकसद है। बीते 24 घंटों में टारगेट किलिंग के एक दो नहीं दसियों वीडियो सामने आए हैं और ये सब तब हो रहा है, जब आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच एक बार फिर इंसानियत के आधार पर युद्धविराम लागू हो गया है।

खुद यूएन ने इस युद्धविराम के लिए दोनों देशों को शाबाशी दी थी, लेकिन युद्धविराम घोषित होने कि सिर्फ 4 मिनट बाद ही अजरबैजान ने पीछे लौटते आर्मेनियाई सैनिकों को चुन-चुनकर मारना शुरू कर दिया। ये आतंकी सीरिया-लीबिया और पाकिस्तान से पहुंचे हैं। हाथ में सेना के जवानों की तरह रॉकेट लांचर और मशीन गन, लेकिन अंदाज वही ISIS वाला। बताया जा रहा है कि ये नागोरनो काराबाख में होने वाले नरसंहार की तैयारी है।

आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल ने दावा किया है कि तुर्की की सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स आर्मीनिया के खिलाफ नागोर्नो-काराबाख में जारी लड़ाई में शामिल है।

अजरबैजान ने इतना बारूद बरसाया कि आर्मेनिया को पीछे हटना पड़ा। एक के बाद एक नागोरनो-काराबाख के 3 शहर और पचास से ज्यादा गांवों पर अजरबैजान का कब्जा हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि आर्मेनिया की सेना कुछ नहीं कर रही।

आर्मेनिया के कई सांसद भी हथियार उठाकर वॉर जोन में कूद गए हैं, आर्मेनिया के बच्चे भी अजरबैजान के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं। युद्ध विराम की ताजा घोषणा के बाद से नागोर्नो-काराबाख़ की वायु सेना ने अज़रबैजान के दो यूएवी ड्रोन गिराने का दावा किया है। इसी से पता चलता है कि युद्धविराम सिर्फ कागजों पर है।

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