पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और आर्मी चीफ जनरल (रिटा.) परवेज मुशर्रफ ने कहा कि अमेरिका और भारत स्ट्रैटेजिकल पार्टनर हैं और इसी के तहत पाकिस्तान के खिलाफ वो मुश्किलें पैदा कर रहा है. पाकिस्तान टीवी को दिए एक इंटरव्यू में मुशर्रफ ने आरोप लगाया कि अमेरिका शुरू से ही पाकिस्तान के साथ दोहरा रवैया अख्तियार करता रहा है. हम चीन की तरफ 1965 में तब गए थे जब अमेरिका ने भारत के खिलाफ जंग के बाद पाकिस्तान पर बैन लगाया था. हाफिज सईद के बाद पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति का ये बयान लगातार पाकिस्तान की आतंक परस्त नीति को दिखाता है.
मुशर्रफ ने कहा कि भारत हमेशा से हमें परेशान करता रहा है और अमेरिका भारत के साथ स्ट्रैटेजिकली चीन के खिलाफ लगा हुआ है. साथ ही अफगानिस्तान में रूस भी आ रहा है. हमें ये समझना होगा और अपनी विदेश नीति पर नए सिरे से काम करना होगा.
मुशर्रफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मल्टीपोलर वर्ल्ड में चीन और रूस भी उभर रहे हैं. और अगर अमेरिका पाकिस्तान पर बैन लगाएगा तो हमारे पास अब ऑप्शन उपलब्ध हैं. ये अमेरिका को समझना होगा कि अफगानिस्तान में काम पाकिस्तान के बिना नहीं हो सकता है.
मुशर्रफ ने ट्रंप के बयान को सिर्फ कागजी बताते हुए कहा कि जहां तक पैसे की बात है तो अमेरिका ने खैरात में पैसे नहीं दिए थे. मुशर्रफ ने कहा कि जो पैसा उन्होंने दिया था उसमें आधा पैसा मिलिट्री के लिए था और आधा सोशियो इकॉनोमी में लगना था. और पाकिस्तान जैसे बड़े मुल्क में जो पैसा अमेरिका से आया था वो नाकाफी था. मुशर्रफ ने आगे कहा कि अगर अमेरिका मानता है कि उसके पैसे से ही पाकिस्तान चल रहा है तो वो गलत समझता है. जो लॉजिस्टिक सपोर्ट और जमीन हमने अमेरिका को मुहैया कराई थी, हमें उसका पैसा मिला था. साथ ही मुशर्रफ ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखा नहीं दिया, बल्कि अमेरिका ने ही हर बार पाकिस्तान को धोखा दिया है.
परवेज मुशर्रफ ने आगे बढ़ते हुए कहा कि हम अमेरिका की जरूरत हैं ना कि अमेरिका हमारी. पाकिस्तान की पब्लिक अमेरिका के साथ नहीं है. अमेरिका ने 1965 में आर्मर्ड डिविजन दिया जहां मुशर्रफ ने काम किया. 1979 में पाकिस्तान की पब्लिक अमेरिका से खुश थी, जब पाकिस्तान के साथ अमेरिका ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ के साथ लड़ाई लड़ी थी. लेकिन इस समय पाकिस्तान में अमेरिका को लेकर गुस्सा है और अमेरिका को ये समझना होगा.