पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. सरकार की तरफ से एक्साइज ड्यूटी घटाए जाने के बाद जो राहत मिली थी, वह भी नाकाफी साबित हो रही है. मंगलवार को मुंबई में जहां एक लीटर पेट्रोल के लिए 76.52 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. वहीं, दिल्ली में इसके लिए लोगों को 72.02 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.
पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों के पीछे कच्चे तेल की कीमतें हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. फिलहाल वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव 29 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है.
शुक्रवार को कच्चे तेल का भाव 59.05 डॉलर के ऊपरी स्तर तक गया था. यह जून 2015 के बाद सबसे अधिक भाव है. कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे से तेल कंपनियों का खर्च बढ़ सकता है.
जिस तेजी से कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हो रहा है. इससे तेल कंपनियों की लागत बढ़ी है. तेल कंपनियों पर बढ़ रहे इस भार को कंपनियां आम आदमी पर डाल सकती हैं और इससे पेट्रोल व डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर दिखना शुरू हो गया है.
अगर पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रहीं, तो राज्यों पर वैट घटाने को लेकर दबाव बढ़ सकता है. बता दें कि केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी पहले ही कम कर चुकी है. कुछ राज्यों ने भी वैट घटाया है. इसके बाद उन राज्यों पर वैट घटाने को लेकर दबाव बढ़ेगा, जिन्होंने अभी तक इसे घटाया नहीं है.
लंबे समय से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने की मांग चल रही है, लेकिन अब तक जीएसटी परिषद ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है. अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतें फिर 80 पर पहुंचती हैं, तो इसे जीएसटी के तहत लाने को लेकर फिर से बहस शुरू हो सकती है