प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मराठा आरक्षण और ताउते तूफ़ान से हुए नुक़सान का मुद्दा उठाएंगे.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मंगलवार को पीएम मोदी से मुलाक़ात करने वाले हैं. मुलाक़ात में उद्धव ठाकरे आधिकारिक रूप से मराठा आरक्षण, ओबीसी आरक्षण और ताउते तूफ़ान से हुए नुक़सान का मुद्दा उठाएंगे. उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि मराठा आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद केंद्र ओबीसी की सूची संशोधन कर उसमें मराठाओं को शामिल करे और पुनर्विचार याचिका में केंद्र पहले की तरह सहयोग जारी रखे.
साथ ही उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि ताउते तूफ़ान से हुए नुक़सान की भरपाई के लिए गुजरात की तर्ज़ पर 1000 करोड़ महाराष्ट्र को भी दिया जाए. उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री से मिलने आ रहे हैं. जानकार इस मुलाक़ात के राजनीतिक मायने भी निकाल रहे हैं, ज़ाहिर तौर पर जब दो राजनेता मिलते हैं तो उनके बीच राजनीतिक चर्चाएं भी होती हैं, वैसे भी राजनीति में कहा जाता है चर्चा और खर्चा चलते रहना चाहिए.
उद्धव ठाकरे और मोदी के बीच संबंध मधुर होने की निशानी के तौर पर शिवसेना के सूत्र ने याद दिलाया कि जब कोरोना की दूसरी लहर से देश हलकान था उस समय पीएम ने मुंबई मॉडल की खूब तारीफ़ की. ये तारीफ़ पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में की. यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अफ़सरों और कोविड टास्क फ़ोर्स के अधिकारियों से भी मुंबई मॉडल की स्टडी करने के लिए कहा.
पीएम मोदी ने मुंबई मॉडल की तारीफ़ बिना ये फ़िक्र किए बिना की कि महाराष्ट्र विपक्षी पार्टी द्वारा शासित राज्य है. शिवसेना के सूत्रों के मुताबिक़, ये महज़ इत्तफ़ाक़ नहीं है बल्कि दोनों नेताओं के बीच मधुर संबंध का उदाहरण है.
आपको बता दें कि बीजेपी और शिवसेना साल 2019 विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अलग-अलग हो गए थे. तब शिवसेना 56 विधानसभा सीटें जीत के दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और और बीजेपी को 105 सीटें मिली थी. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी. शिवसेना ने तब दावा किया था कि उसी साल हुए लोकसभा चुनावों से पहले तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें 50-50 फॉर्मूले के तहत विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद का वायदा किया था.
हालांकि बाद में इस पर सहमति नहीं बनी. जब 50-50 फॉर्मूले पर सहमति नहीं बनी तो दोनों दल क़रीब 25 साल पुराना साथ छोड़ कर अलग-अलग हो गए. शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बनाई और पहली बार ठाकरे ख़ानदान से किसी को मुख्यमंत्री बनाया गया.
महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद तक़रीबन डेढ़ साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे की फिर से मुलाक़ात हो रही है. शिवसेना के सूत्र इस मुलाक़ात को बेहद ख़ास बता रहे हैं और भविष्य की बुनियाद के लिए भी अहम बता रहे हैं. उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी का कहना है कि शिवसेना और बीजेपी के रास्ते अलग -अलग होने के बावजूद मोदी और उद्धव ठाकरे के संबंध बेहद मधुर बने रहे.
शिवसेना के सूत्रों का कहना है राजनीति में कोई भी-कभी भी अछूत नहीं होता है. जाहिर तौर पर भविष्य में ज़रूरत होने पर बीजेपी-शिवसेना फिर से एक साथ आ सकते हैं. इस संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है लेकिन फ़िलहाल इसकी संभावना नहीं दिखाई दे रही है और भविष्य में क्या होगा कोई नहीं जानता हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या वैचारिक धरातल पर समानता रखने वाली और हिंदुत्व की पैरोकार इन दोनों पार्टियों के बीच कुछ पक रहा है और क्या एक बार फिर दोनों एक-दूसरे के क़रीब आ रहे हैं?
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— DD News (@DDNewslive) June 8, 2021
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