राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी है। संसद के दोनों सदनों से पारित कराने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिये भेजा गया था। बता दें कि तीन तलाक बिल संसद के दोनों सदनों से पहले ही पास हो चुका है। मोदी सरकार ने इस बिल को 25 जुलाई को लोकसभा में और 30 जुलाई को राज्यसभा में पास करवाया था।
राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99, जबकि विरोध में 84 वोट पड़े थे। इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई थी। वोटिंग के दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84, जबकि विरोध में 100 वोट पड़े थे।
राष्ट्रपति कोविंद से मंजूरी मिलने के साथ ही इस कानून ने अब तीन तलाक को लेकर 21 फरवरी को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह ले ली है। बिल के कानून बनने के बाद यानी 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी मामले में तीन तलाक से संबंधित आए हैं, उन सभी का निपटारा इसी कानून के तहत किया जाएगा। जानिए बिल की अहम बातें
तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना।
तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान यानी पुलिस बिना वारंट आरोपी पुरुष को गिरफ्तार कर सकती है।
तीन साल तक की सजा का प्रावधान
पीड़ित महिला पति से गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है
यह कानून गैरजमानती होगा
मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा
पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है
पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है
इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा
पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है। इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा