प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी की 72वीं वर्षगांठ के मौके पर लाल किले की प्रचीर से देश के नाम संबोधित करते हुए जहां एक तरफ सरकार की उपलब्धियों को गिनाया तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने सेना में महत्वपूर्ण चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नए पद का ऐलान किया। पीएम मोदी ने कहा कि इस पद के गठन के बाद तीनों सेनाओं के स्तर पर एक प्रभावी नेतृत्व मिलेगा।
क्यों पड़ी चीफ ऑफ स्टाफ की जरुरत
दरअसल, साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध की जब तत्कालीन डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने समीक्षा की तो यह पाया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी थी। अगर तीनों सेनाओं के बीच आपसी समन्वय होता तो नुकसान को कम किया जा सकता था। उस समय चीफ ऑफ डिफेंस के पद बनाने का सुझाव दिया गया था।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने और सैन्य मसलों पर सरकार के लिए सिंगल पॉइंट सलाहकार के तौर पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपने का सुझाव दिया गया। लेकिन, इस पद के लिए राजनीतिक आम सहमति न बनने और सशस्त्र बल के कुछ वर्गों की ओर से विरोध के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
कई देशों के पास चीफ ऑफ स्टाफ सिस्टम
चीफ ऑफ स्टाफ डिफेंस का पद दुनिया के कई देशों में हैं। अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, जापान सहित दुनिया के कई देशों के पास चीफ ऑफ डिफेंस जैसी व्यवस्था है। नॉटो देशों की सेनाओं में ये पद हैं।
जिन देशों में इस पद की व्यवस्था है, उनमें से ज्यादातर देशों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सर्वोच्च सैन्य पद होता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का मुख्य सैन्य सलाहकार होता है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सबसे बड़ा फायदा युद्ध के समय होगा। युद्ध के समय तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।