अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों से इस मुद्दे गैर जरूरी बयान देने से बचने और देश में सौहार्द बनाए रखने को कहा.
मंत्रिपरिषद की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों से कहा कि देश में सौहार्द बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है. उन्होंने इस मुद्दे पर अनावश्यक बयानबाजी से बचने को भी कहा.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में इससे पहले अपना फैसला सुना सकता है.
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देते हुए कहा कि फैसले को हार- जीत के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए.
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ में अयोध्या मामले में फैसले से जुड़ी अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि सितंबर 2010 में मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी कुछ समूहों ने अशांति फैलाने की कोशिश की थी, लेकिन सिविल सोसायटी और राजनीतिक दलों ने समझदारी दिखाई.
मोदी के इस बयान से पहले सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं से राम मंदिर मुद्दे पर भावनात्मक या उकसाने वाले बयान देने से बचने के लिए कहा था. पार्टी ने शांति कायम रखने के लिये अपने सांसदों से अपने- अपने संसदीय क्षेत्रों में जाने को भी कहा था.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने भी कुछ दिन पहले अपने स्वयंसेवकों से इसी तरह की अपील की थी.
संघ के शीर्ष नेतृत्व ने ‘प्रचारकों’ की हालिया बैठक में कहा था कि अगर राम मंदिर का फैसला उनके पक्ष में आया, तो वे ना ही कोई जश्न मनाएं और ना ही जुलूस निकालें.
गौरतलब है कि संघ और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और उस दौरान इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो भी हो न तो कोई ‘जूनूनी जश्न’ होना चाहिए और न ही ‘हार का हंगामा हो.’
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर यहां यह बैठक हुई.
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को 40 दिनों से चली आ रही सुनवाई पूरी करने के बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला जल्द ही आन की उम्मीद है.