पुणे/महाराष्ट्र । परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ जी महाराज पुणे प्रवास पर है जहाँ आज दिनांक 30 अप्रैल 2023 दिन रविवार को पुणे स्थित वर्धमान सभागार में आयोजित धर्मसभा में आर्शीवचन पूर्व राष्ट्रपति के नाम समलैंगिक मामले पर पत्र लिखा वही पत्र को ज्योतिर्मठ के सीईओ चन्द्रप्रकाश उपाध्याय ने पढ़ कर साझा किया।
समलैंगिक शादी को लेकर पूरे देश भर में नई बहस छिड़ गई है, वही सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने की मांग से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई भी चल रही है।
वही, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने समलैंगिकता का विरोध किया हैं। उन्होंने कहा कि विवाह एक पवित्र संस्कार है, जो केवल नर और नारी के मध्य ही संभव हैं। इसका मूल प्रयोजन नर व नारी का पति पत्नी के रूप में धार्मिक कृत्यों का एक साथ मिलकर अनुष्ठान करना तथा सृष्टि कार्य को आगे बढ़ाने संतानों की उत्पत्ति करना है। वेदों में भी यही लिखा है।
हिंदू धर्म में 8 प्रकार की विवाह पद्धति है, जिसमें स्त्री पत्नी होती है व पुरुष पति होता है, लेकिन समलैंगिकता में कौन पति होगा? कौन पत्नी? यह कैसे तय होगा। सनातनी हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता को पाप की श्रेणी में आती है। संस्कृति में यह दोष पूर्ण माना गया है। वही ऐसी परंपरा से धर्म और संस्कृति का केवल नाश होगा।
सर्वोच्च न्यायालय यदि इस पर सहमति प्रदान करती है, तो यह निर्णय परस्पर विरोधी परिणाम को जन्म देगा। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भारत के नागरिक हैं तो उन्हें अपना कर्तव्य समझना चाहिए व हमारे वैदिक भारतीय सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का परीक्षण करके समझना चाहिए कि नर नारी के विवाह को ही धार्मिक व सामाजिक मान्यता मिलती रही हैं।
इस बात का उदाहरण आसपास में रहने वाले जीव जंतु पशु पक्षियों से भी सीखा जा सकता है। वह इस तरह कृत्य कभी नहीं करते हैं। फिर दिमागदार मानव इस तरह का कृत्य क्यों करना चाहता है, जो अशोभनीय है। समलैंगिक युगल पहले ही प्रकृति धर्म के विरुद्ध यौनाचार का आचरण कर चुके हैं और अब विवाह जैसे धार्मिक संस्कार के रूप में वैधानिक मान्यता चाहते हैं। मान्यता देने से भारत की प्रभुता एकता और अखंडता को विनाश की ओर जाएगी।
राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में शंकराचार्य श्रीअविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने अनुरोध किया है कि भारत सरकार को वह यह निर्देश दे कि सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक धर्म प्रेमियों की यह बात पहुंचाई जाएं।
Karnataka is fed up of unstable Governments that too by dynastic parties which view the state as their ATM.
Karnataka wants a development oriented BJP Government. pic.twitter.com/ng4jRJcH8Z
— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2023
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