राजस्थान: चुनाव परिणाम के एक महीने बाद टूटी नींद ली हार की जिम्मदारी

राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने आज कहा कि चुनाव में हार कि जिम्मेदारी हम सभी की है. सूबे में कांग्रेस सत्ता में होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में खाता भी खोलने में नाकामयाब रही है.

नई दिल्ली: राजस्थान में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद सवालों के घेरे में आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज रिजल्ट के एक महीने बाद हार की जिम्मेदारी ली. साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के प्रति समर्थन जताया. गहलोत ने राहुल गांधी से साथ बैठक से ठीक पहले ट्वीट कर कहा कि 2019 के चुनाव में हार की जिम्मेदारी हम सभी की है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”राहुल गांधी के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए उनके आवास पर आज कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक होगी. हम सभी ने यह कहा है कि हम कांग्रेस अध्यक्ष के साथ हैं और 2019 की पराजय की जिम्मेदारी हम सभी की है.”

आपको बता दें कि राहुल गांधी ने पार्टी की हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि कांग्रेस कार्यसमिति ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया था. लेकिन राहुल गांधी अब भी इस्तीफे पर अड़े हैं.

सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं से कहा है कि गांधी परिवार के बाहर से किसी नेता को अध्यक्ष बनाएं. वहीं कांग्रेस नेता इस बात से इनकार कर रहे हैं. 100 से अधिक नेताओं ने राहुल गांधी के प्रति समर्थन जताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है.

आज अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा, ”हमारा दृढ़ विश्वास है कि वर्तमान परिदृश्य में केवल राहुल गांधी ही पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं, देश और देशवासियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बेमिसाल है.”

ध्यान रहे कि कांग्रेस की हार के बाद हुए कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में राहुल गांधी अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रति नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि इन नेताओं ने पार्टी की जीत की बजाय बेटे की जीत पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया.

नाराजगी की सबसे बड़ी वजह थी कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ महीनों पहले ही कांग्रेस की सरकार बनी थी लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार हुई. राजस्थान में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया. वहीं मध्य प्रदेश में पार्टी केवल एक सीट जीती. ऐसी भी चर्चा थी कि दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी युवा नेतृत्व को जिम्मेदारी देना चाहते थे. लेकिन दबाव में राहुल गांधी को फैसला बदलना पड़ा.

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