कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी की चपेट में आने से कई प्रवासी मजदूरों की मौत पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि राष्ट्र का निर्माण करने वाले श्रमिकों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर हमें शर्म आनी चाहिए।
नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी की चपेट में आने से कई प्रवासी मजदूरों की मौत पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि राष्ट्र का निर्माण करने वाले श्रमिकों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर हमें शर्म आनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मालगाड़ी से कुचलकर मजदूर भाई-बहनों के मारे जाने की ख़बर से स्तब्ध हूं। हमें अपने राष्ट्र निर्माणकर्ताओं के साथ किये जा रहे व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए।’’
लॉकडाउन के पहले कोरोना घातक बीमारी नहीं थी, लॉकडाउन के बाद ये लोगों के दिमाग में घातक बीमारी हो गई है। ये 1% लोगों के लिए घातक है। अगर हम लॉकडाउन को हटाना चाहते हैं तो हमें डर के माहौल को मिटाना ही पड़ेगा। नहीं तो आप सब कुछ खोल दो कोई बाहर नहीं आने वाला: राहुल गांधी pic.twitter.com/906jgiNINb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 8, 2020
गांधी ने कहा, ‘‘मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।’’ गौरतलब है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे कम से कम 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि करमाड पुलिस थाने के तहत आने वाले क्षेत्र में सुबह सवा पांच बजे हुई इस दुर्घटना में दो अन्य मजदूर घायल हो गए।
करमाड पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि मध्य महाराष्ट्र के जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। जालना से आ रही मालगाड़ी पटरियों पर सो रहे इन मजदूरों पर चढ़ गई।
मालगाड़ी से कुचले जाने से मजदूर भाई-बहनों के मारे जाने की ख़बर से स्तब्ध हूं। हमें अपने राष्ट्र निर्माणकर्ताओं के साथ किये जा रहे व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए। मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 8, 2020
पुलिस अधिकारी संतोष खेतमलास ने बताया, ‘‘जालना में एक इस्पात फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर गत रात पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर निकल पड़े थे। वे करमाड तक आए और थककर पटरियों पर सो गए।’’ इस समूह के साथ चल रहे तीन मजदूर जीवित बच गए क्योंकि वे रेल की पटरियों से कुछ दूरी पर सो रहे थे।
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