रणजी खिताब जीत चुकी दिल्ली 15वीं बार फाइनल में

पुणे : नवदीप सैनी और कुलवंत खेजरोलिया की घातक गेंदबाजी से दिल्ली ने यहां बंगाल की बल्लेबाजी के परखच्चे उड़ाकर मैच के तीसरे दिन ही पारी और 26 रन से जीत दर्ज करके शान के साथ रणजी ट्राफी फाइनल में प्रवेश किया. दिल्ली की टीम दस साल के बाद फाइनल में पहुंचने में सफल रही. इससे पहले उसने 2007-08 में खिताबी मुकाबले में जगह बनायी थी और तब उत्तर प्रदेश को हराकर चैंपियन भी बनी थी. दिल्ली वैसे कुल 15वीं बार फाइनल में पहुंचा है. वह अभी तक सात बार खिताब जीत चुका है. दिल्ली फाइनल में कर्नाटक और विदर्भ के बीच चल रहे दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से भिड़ेगा.

दिल्ली ने बंगाल के 286 रन के जवाब में अपनी पहली पारी में 398 रन बनाकर 112 रन की बढ़त हासिल की थी. इसके बाद दिल्ली के गेंदबाजों ने अपना जलवा दिखाया और बंगाल की टीम को दूसरी पारी में 24.4 ओवर में 86 रन पर ढेर कर दिया. सैनी ने 35 रन देकर चार, खेजरोलिया ने 40 रन देकर चार और विकास टोकस ने 11 रन देकर एक विकेट लिया. बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन से मोहम्मद शमी का गेंदबाजी में अच्छा प्रदर्शन भी फीका पड़ गया जिन्होंने 122 रन देकर छह विकेट लिये.

एमसीए स्टेडियम की पिच पर तीसरे दिन गेंदबाजों का दबदबा रहा और दिन भर में कुल 17 विकेट गिरे. दिल्ली की युवा टीम हालांकि बंगाल पर हर क्षेत्र में अव्वल साबित हुई. उसकी जीत में गेंदबाजों के अलावा अनुभवी गौतम गंभीर (127) और उनके सलामी जोड़ीदार कुणाल चंदेला (113) के शतक तथा युवा बल्लेबाज हिम्मत सिंह (60) के अर्धशतक भी भूमिका भी अहम रही.

बंगाल के बल्लेबाजों ने अपनी गलती से भी विकेट गंवाये लेकिन दिल्ली के गेंदबाजों की सटीक लाइन व लेंथ का भी उनके पास जवाब नहीं था. बंगाल की शुरूआत बेहद खराब रही.  टोकस ने अभिषेक रमन (शून्य) को पगबाधा आउट कर दिया. सेमीफाइनल में दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले अभिमन्यु ईश्वरन (13) भी शुरू में मिले दो जीवनदान का फायदा नहीं उठा पाये. खेजरोलिया के पहले ओवर में ही शार्ट पिच गेंद पर उन्होंने पुल करके चंदेला को कैच का अभ्यास कराया.

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