पुणे : पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने न्यायिक जांच के आदेश दिए है. इसके साथ ही सीएम ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नेताओं से अपील की है कि वे ऐसा कोई बयान न दें, जिससे तनाव हो. इसके साथ ही उन्होंने इस घटना में मारे गए शख्स के परिजनों को दस लाख रुपये मुआवजा देने की भी घोषणा की है. उधर, पुलिस ने भी लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मामले की जांच और दोषियों को सजा दिए जाने की मांग की थी.
दरअसल, पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई है. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं. ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था.
पुलिस ने बताया कि जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो मंगलवार दोपहर शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं. एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है. हालांकि, उसकी पहचान और कैसे उसकी मौत हुई इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चला है.
हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई. भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘बहस के बाद पथराव शुरू हुआ. हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई’. उन्होंने बताया कि पुलिस ने घटना के बाद कुछ समय के लिये पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर यातायात रोक दिया. उन्होंने बताया कि गांव में अब हालात नियंत्रण में है.
अधिकारी ने बताया, ‘राज्य रिजर्व पुलिस बल की कंपनियों समेत और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है’. उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन नेटवर्क को कुछ समय के लिए अवरूद्ध कर दिया गया ताकि भड़काऊ संदेशों को फैलाने से रोका जा सके |