नवंबर में महंगाई का ग्राफ और बढ़ा

नई दिल्ली: देश में नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.88 प्रतिशत पहुंच गई है, जो कि बीते अक्टूबर में 3.58 प्रतिशत था. औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अक्तूबर में कम होकर 2.2 प्रतिशत रह गई, पिछले साल इसी माह में यह 4.2 प्रतिशत थी. इससे पहले खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों के भाव में तेजी से खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर में बढ़कर 3.58 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी जो सात महीने का उच्च स्तर था. इस साल मार्च में 3.89 प्रतिशत के बाद खुदरा महंगाई दर का यह उच्चतम स्तर है, हालांकि नवंबर के आंकड़े ने इसे पीछे छोड़ दिया है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अनुसार खाद्य वस्तुओं की श्रेणी में महंगाई दर अक्तूबर में बढ़कर 1.9 प्रतिशत हो गयी थी. यह सितंबर में 1.25 प्रतिशत थी.

अक्टूबर में महंगाई
सब्जी खंड में महंगाई दर दोगुनी होकर 7.47 प्रतिशत हो गयी जो सितंबर में 3.92 प्रतिशत थी. प्रोटीन का प्रमुख स्रोत अंडा और दूध एवं उसके उत्पादों की महंगाई दर ऊंची रही. हालांकि तिमाही आधार पर अक्तूबर में फलों की कीमतों में कमी आयी. दलहन की महंगाई दर में गिरावट जारी रही और इसमें आलोच्य महीने में 23.13 प्रतिशत की गिरावट आयी. सितंबर में इसमें 22.51 प्रतिशत की गिरावट आयी थी.

पहले ही जताई थी आशंका
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर में आगामी महीनों में वृद्धि होने का अनुमान जताया गया था. विशेषज्ञों के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में चक्रीय सुधार और राज्यों द्वारा वेतन आयोग से संबंधित वृद्धि को लागू करने से आने वाले महीनों में सीपीआई मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि होने की उम्मीद जताई थी. कैलेंडर वर्ष की शुरुआत में कमजोर मांग और नोटबंदी के कारण उत्पादों की महंगाई का दबाव अपेक्षाकृत कम हो गया था. हालांकि, आगे के चक्र में मुद्रास्फीति के बढ़ने की संभावना है. खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि होने से अक्तूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर बढ़कर सात महीने के उच्चतम स्तर 3.58 प्रतिशत पर पहुंच गयी.

जापान की वित्तीय सेवा प्रदाता फर्म नोमुरा के मुताबिक, जीएसटी दर में कमी आने के कारण वस्तुओं की कीमतें कुछ हल्की हुई है, लेकिन संसाधनों की लागत में मामूली वृद्धि और खाद्य मुद्रास्फीति अधिक रहने के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से थोड़ा ऊपर जा सकती है. वित्तीय सेवा कंपनी मोर्गन स्टेनली का कहना था कि मकान किराया भत्ता (एचआरए) और राज्यों द्वारा वेतन आयोग से संबंधित वृद्धि को लागू करने का प्रभाव मुद्रास्फीति के दबावों को बढ़ाएगा. इसी तरह की अवधारणा यूबीएस ने भी अपनी शोध नोट में जताई थी. उसने भी मुद्रास्फीति दर बढ़ने का उम्मीद जताई थी.

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