संस्कार न्यूज़: पंचांग को भारतीय वैदिक ज्योतिष में दर्शाया गया है। अगर आप भी दिन में कुछ खास करने की योजना बना रहे हैं तो पंचांग के अनुसार इसे तैयार कर सकते हैं।आज प्रात: 7.30 बजे से 9 बजे तक राहु काल रहेगा। शीतलाष्टमी। कालाष्टमी। वर्षीतप आरंभ (जैन)। संतान अष्टमी। सूर्य उत्तरायण। सूर्य दक्षिण गोल। वसंत ऋतु।
16 मार्च, सोमवार,
26 फाल्गुन (सौर) शक 1941, 2, चैत्र मास प्रविष्टे 2076, 20, रजब सन् हिजरी 1441, चैत्र कृष्ण अष्टमी रात्रि 3 बजे तक उपरांत नवमी, ज्येष्ठा नक्षत्र प्रात: 11.12 बजे तक, तदनंतर मूल नक्षत्र, सिद्धि (असृक) योग, मध्याह्न 1.31 बजे तक पश्चात् व्यतीपात योग, बालव करण, चंद्रमा प्रात: 11.12 बजे तक वृश्चिक राशि में उपरांत धनु राशि में।
होली के बाद आने वाली चैत्र कृष्ण अष्टमी पर शीतला अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। कई लोग इसे होली अष्टमी भी कहते हैं। इस त्योहार को कुछ लोग होली के आठ दिन बाद तो कुछ लोग होली के बाद के सोनवार को मनाते हैं। उत्तर भारत के अलावा गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी यह त्योहार मनाया जाता है। गुजरात में यह त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी के एक दिन पहले मनाया जाता है। इसे वहां शीतला सप्तमी कहा जाता है।
इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। देशभर के माता शीतला मंदिरों में इस दिन मेले का आयोजन होता है। इस त्योहार को कई जगह बासौड़ा भी कहते हैं। माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने की प्रथा है। इस दिन घर में ताजा खाना नहीं बनता, महिलाए एक दिन पहले रात को ही खाना बना लेती हैं, उसी खाने से माता शीतला की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला शांति की देवी हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भक्तों की रक्षा करती हैं। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान किया जाता है। माता शीतला की पूजा का सामान लेकर माता शीतला मंदिर में और होलिका दहन की जगह पर भोग लगाया जाता है। इसके बाद शीतला व्रत की कथा सुनने के बाद घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के टीका लगाए जाते हैं। मंदिर से लाए गए जल पूरे घर में छींट देते हैं। इससे शीतला माता की कृपा बनी रहती है और रोगों से घर की सुरक्षा होती है।
शीतला अष्टमी 2020 सोमवार 16 मार्च 2020
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त -सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक
शीतला सप्तमी रविवार 15 मार्च 2020
शीतला अष्टमी 2020 16 मार्च 03:19 बजे से
शीतला अष्टमी 2020 17 मार्च 02:59 बजे तक
ऐसा माना जाता है कि चिकनपॉक्स, चेचक, स्मालपॉक्स जैसी बीमारियों से बचाने के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है। श्रद्धालु भोग लगाने के बाद इसी भोजन को ग्रहण करते हैं। पूरे दिन घरों में चूल्हे नहीं जलाए जाते हैं। मान्यता है कि घरों में चूल्हे जलने से या गर्म भोजन खाने से माता शीतला भक्तों से नाराज हो जाती हैं।