जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना कहा, “चाहे वह अमेरिका हो, यूरोप, रूस या जापान, हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सभी संबंध विशिष्टता की मांग किए बिना आगे बढ़ें.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत के प्रत्येक जुड़ाव का अपना विशेष महत्व और फोकस है, फिर चाहे वह अमेरिका हो, यूरोप हो, रूस या जापान हो. उन्होंने कहा कि भारत संबंधों को इस तरह मजबूत करने की कोशिश कर रहा है कि सभी संबंध विशिष्टता की मांग किए बिना आगे बढ़ें. हालांकि चीन एक अलग श्रेणी में आता है. जयशंकर ने डोमिनिकन गणराज्य के विदेश मंत्रालय MIREX में अपने संबोधन में यह बात कही. विदेश मंत्री 27 से 29 अप्रैल तक वहां के दौरे पर थे.
डोमिनिकन गणराज्य के विदेश मंत्रालय में टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने कहा, “2015 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक व्यापक दृष्टिकोण व्यक्त किया जो पूरे हिंद महासागर और उसके द्वीपों तक फैला हुआ था.” जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक जुड़ाव का अपना विशेष महत्व और फोकस होता है.
जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना कहा, “चाहे वह अमेरिका हो, यूरोप, रूस या जापान, हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सभी संबंध विशिष्टता की मांग किए बिना आगे बढ़ें.”
इसके बाद जयशंकर ने कहा, “सीमा विवाद और वर्तमान में हमारे संबंधों की असामान्य प्रकृति के कारण चीन कुछ अलग श्रेणी में आता है.”
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की गतिविधियों को लेकर भारत का रुख को स्पष्ट करते हुए जयशंकर ने कहा, “यह उनके द्वारा सीमा प्रबंधन के संबंध में समझौतों के उल्लंघन का परिणाम है.”
उन्होंने कहा, “चीन और भारत का एक ही समानांतर समय सीमा में उदय भी इसके प्रतिस्पर्धी पहलुओं के बिना नहीं है.”
साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की सबसे अधिक दबाव वाली प्राथमिकताएं स्पष्ट रूप से उसके पड़ोस में हैं. भारत के आकार और आर्थिक ताकत को देखते हुए सामूहिक लाभ के लिए भारत छोटे पड़ोसियों के साथ सहयोग के लिए एक उदार और गैर-पारस्परिक दृष्टिकोण अपनाता है.
जयशंकर ने कहा, ” ठीक यही हमने पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया है और इसे हमारे क्षेत्र में नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के रूप में जाना जाने लगा है.”
जयशंकर ने कहा, “निश्चित रूप से इसका अपवाद पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को देखते हुए है, जिसका वह समर्थन करता है. हालांकि कोविड की चुनौती हो या हालिया ऋण दबाव, भारत ने हमेशा से ही अपने पड़ोसियों के लिए कदम बढ़ाया है.”
बता दें कि भारत ने श्रीलंका को 4 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की उल्लेखनीय आर्थिक सहायता प्रदान की है.
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