रणजी ट्रॉफी 70 साल पहले बनी सौराष्ट्र टीम पहली बार चैम्पियन

70 साल पहले बनी सौराष्ट्र टीम ने शुक्रवार को पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता। बंगाल के साथ राजकोट में हुआ फाइनल मुकाबला ड्रॉ रहा। नियम के मुताबिक, पहली पारी में बढ़त (44 रन) के आधार पर सौराष्ट्र को जीत मिली। सौराष्ट्र ने पहली पारी में 425 और दूसरी में 4 विकेट के नुकसान पर 105 रन बनाए, जबकि बंगाल की पूरी टीम पहली पारी में 381 रन पर ऑलआउट हो गई थी। सौराष्ट्र की ओर से अर्पित वसावदा ने पहली पारी में 106 और चेतेश्वर पुजारा ने 66 रन बनाए। वहीं, बंगाल के गेंदबाज आकाश दीप ने 4 विकेट लिए।

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इससे पहले, मैच के पांचवें दिन की शुरुआत में बंगाल ने कल के 354 रन पर 6 विकेट के स्कोर से आगे खेलना शुरू किया। लेकिन बंगाल ने अपने आखिरी 4 विकेट 27 रन के भीतर गंवा दिए और टीम 381 रन पर आउट हो गई। सौराष्ट्र के लिए धमेंद्र सिंह जडेजा ने 4, जबकि कप्तान जयदेव उनादकट और प्रेरक ने 2-2 विकेट हासिल किए। बंगाल को आउट करने के बाद उनादकट ने पूरे स्टेडियम का चक्कर भी लगाया। उन्होंने इस सीजन के 10 मैच में 67 विकेट लिए।

सौराष्ट्र पिछले फाइनल में विदर्भ से हारा था

सौराष्ट्र पिछले सीजन में भी फाइनल में पहुंचीं थी। लेकिन विदर्भ ने उसे हरा दिया था। इससे पहले 2012-13 और 2015-16 में वह रनर अप रही। दोनों मौकों पर मुंबई ने उसे मात दी थी। सौराष्ट्र ने पिछले 8 सीजन में 4 बार फाइनल खेला।

1950 में सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन बना

1929 में बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट यानी बीसीसीआई का गठन हुआ। तब वेस्टर्न इंडिया स्टेट्स क्रिकेट एसोसिएशन बीसीसीआई का सदस्य था।1934-35 में शुरू हुई रणजी ट्रॉफी में इस टीम ने हिस्सा लिया। इसके एक साल बाद 1936-37 में इस रीजन की एक और टीम नवानगर रणजी ट्रॉफी का हिस्सा बनी। 1946-47 से पहले यह पूरा क्षेत्र कठियावाड़ क्रिकेट एसोसिएशन के नाम से पहचाना जाता था। तब नवानगर और वेस्टर्न इंडिया स्टेट्स यह दोनों टीमें इसी क्षेत्र से खेलती थी। लेकिन 1950 में सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना हुई। इसके बाद से ही गुजरात में यह संघ संचालित हो रहा है।

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