स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जुलाई से सितंबर की तिमाही में 1,581 करोड़ की वसूली की थी. यह रकम बैंक की दूसरी तिमाही के मुनाफे से भी ज़्यादा है.
स्टेट बैंक के पास 42 करोड़ बचत खाताधारक हैं. इनमें से 13 करोड़ बेसिक बचत खाते और जन-धन योजना के तहत खुले खातों से न्यूनतम बचत न होने का जुर्माना नहीं लिया गया. उन्हें मुक्त रखा गया.
29 करोड़ बचत खाताधारकों में ज़रूर ऐसे रहे होंगे, जो अपने खाते में न्यूनतम बचत नहीं रख पाते होंगे, और इसका संबंध उनकी आर्थिक स्थिति से ही होगा. इनके खाते से 100-50 काटते-काटते स्टेट बैंक ने 1,771 करोड़ रुपये उड़ा लिए. अगर इनके पास पैसा होता, तो क्यों ये कम रखते. ज़ाहिर है, रखते ही.
मगर इस कमज़ोर आर्थिक स्थिति में भी बैंक ने उनसे जुर्माना वसूला. यह एक किस्म का चम्पारण का ‘तीन कठिया’ सिस्टम है, जिसके तहत किसानों को अपने खेत के तीन हिस्से में नील की खेती करनी ही होती थी, ताकि नील के मैनेजरों का मुनाफा और बढ़ सके.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां या नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) का बोझ सबसे ज़्यादा है. बैंक की हालत खस्ता है. वह उन लोगों से जुर्माना नहीं वसूल नहीं पा रहा, जो उसके लाख करोड़ से भी ज़्यादा लोन लेकर चंपत हो चुके हैं, और आपकी नासमझी का लाभ उठाकर इस देश में नौटंकी हो रही है.
एनपीए के बाद नोटबंदी ने बैंकों को भीतर से कमज़ोर कर दिया है. बैंक ने खुद को बचाने के लिए कमज़ोर लोगों की जेब काट ली, गला काट लिया. आप चुप रहिए, सिसकते रहिए और अपनी मेहनत की कमाई से बैंक को 1,771 करोड़ देते रहिए.
इंडियन एक्सप्रेस ने यह ख़बर छापी है. स्टेट बैंक की हिम्मत देखिए, जवाब तक नहीं दिया है. कर क्या लोगे, ख़बर छाप लो, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा. यह संवेदनशीलता है उन बैंकों की, जहां हम पैसे के साथ अपना भरोसा जमा करते हैं. सबको पता है कि टीवी आपको पाकिस्तान और तीन तलाक में उलझाकर रखे हुए हैं और इधर चुपके से आपकी जेब कतरी जा रही है.
हमने इस ख़बर के बाद एक हिन्दी अख़बार को चेक किया. उसके पहले पन्ने पर स्टेट बैंक की ख़बर थी कि बैंक ने होम लोन पर ब्याज़ दर कम कर दी है. गृहऋण सस्ता हुआ, लेकिन आपका ही पैसा आपके खाते से कट गया, उसकी कोई ख़बर नहीं है. आपको अखबार गृहऋण के जश्न में उलझाकर मूर्ख बना रहे हैं. अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आता है. पढ़ना सीखें. हिन्दी अख़बारों की चतुराई से सावधान रहिए.
पंजाब नेशनल बैंक ने भी इस ज़बरन वसूली से 97.34 करोड़ रुपये कमाए हैं. सेंट्रल बैंक ने 68.67 करोड़ और केनरा बैंक ने 62.16 करोड़ कमाए हैं. पंजाब और सिंध बैंक ने इस तरह का जुर्माना नहीं लिया है. वह ऐसा करने वाला एकमात्र बैंक है.
खाते में कम पैसा होने का जुर्माना वसूला जा रहा है. आप नगद लेन-देन न कर पाएं, इसके लिए रास्ते जबरन बंद किए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि जितना भी पैसा है, बैंक में रखिए. जब आप बैंक में रखते हैं, तो कहा जाता है कि कम रखा है, चलो अब जुर्माना भरो. ज़्यादा रखेंगे तो ब्याज़ कम दिया जाएगा. आप देखिए कि आप अपनी आर्थिक स्वतंत्रता गंवा रहे हैं या पा रहे हैं…? क्या ग़रीब होने का जुर्माना लगेगा अब इस देश में…?
डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.