विदेशी निवेशकों के लिए बाजार तक पहुंच होगी आसान

मुंबई: बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को पूंजी बाजार में कारोबार और उससे जुड़े कारोबारियों के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधारों को आगे बढ़ाने का निर्णय किया. इसमें जहां एक तरफ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए भारतीय पूंजी बाजार में पहुंच को आसान बनाया गया है, वहीं एक ही एक्सचेंज में शेयर और जिंस दोनों का कारोबार करने के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया गया है. सेबी ने रेटिंग एजेंसियों के साथ-साथ म्यूचुअल फंड में हितों के टकराव को दूर करने के मकसद से एक-दूसरे में 10 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग की सीमा तय कर दी. सेबी निदेशक मंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए. सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने इनकी जानकारी देते हुए कहा कि कंपनियों के कर्ज चुकाने में असफल रहने संबंधी खुलासा नियमों पर अभी और चर्चा की जरूरत है.
सेबी ने लिए कई बड़े निर्णय
  1. सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों से जुड़ी उनके शेयर मूल्य के प्रति संवेदनशील जानकारी कुछ गिने चुने लोगों तक पहुंचाने जैसे भेदिया कारोबारियों को भी कड़ी चेतावनी दी है.
  2. सेबी ने संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) द्वारा जारी प्रतिभूति रसीद को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने और उसमें फरीद-फरोख्त को भी मंजूरी दी है.
  3. हालांकि, सूचीबद्ध कंपनियों के लिये कर्ज में किसी भी प्रकार की चूक के बारे में निवेशकों को तत्काल सूचना देने की व्यवस्था को अनिवार्य बनाये जाने के मामले में निर्णय टाल दिया गया.
  4. सेबी ने रीयल एस्टेट तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट के लिए अपने नियमन में ढील दी है. इसके अलावा सूचीबद्ध कंपनियों के लिए न्यूनतम 25 प्रतिशत शेयरधारिता की शर्त को पूरा करने के लिए और उपाय भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
  5. नियामक ने यह भी कहा कि वह निवेश सलाहकारों के लिए नियमों में बदलाव करेगा. कोई भी इकाई निवेश सलाह का काम करने के साथ उत्पादों का वितरण जैसी दूसरी गतिविधि नहीं कर सकती है.
  6. एक ही एक्सचेंज में शेयरों और जिंस कारोबार की अनुमति के बारे में त्यागी ने कहा कि एकीकरण प्रक्रिया के तहत सभी एक्सचेंज 1 अक्टूबर, 2018 से दोनों तरह के कारोबार कर सकेंगे. संबंधित प्रतिभूति बाजार नियमनों को संशोधित कर कुछ मौजूदा अंकुशों को समाप्त किया जाएगा. इससे सभी एक्सचेंज अपने प्लेटफॉर्म पर शेयर और जिंस दोनों के कारोबार की सुविधा उपलब्ध करा पाएंगे.
  7. कागजी कामकाज को कम-से-कम करने के इरादे से सेबी ने कंपनियों को निवेशकों को रिफंड आदेश, शेयर आवंटन तथा अन्य प्रकार की सूचना देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के उपयोग की अनुमति दे दी है. मौजूदा नियमों के मुताबिक कंपनियों को रिफंड आदेश, आवंटन पत्र और शेयर प्रमाणपत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजने होते हैं.
  8. एक अन्य फैसले में सेबी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए एक दूसरे में शेयरहोल्डिंग की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत रखने का फैसला किया है. इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी के लिए न्यूनतम नेटवर्थ सीमा को भी मौजूदा 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया है.
  9. सेबी के इन नियमों का स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज और फिच जैसी वैश्विक रेटिंग एजेंसियों पर भी प्रभाव पड़ेगा. इन कंपनियों की कई घरेलू एजेंसियों में हिस्सेदारी के साथ उनकी प्रत्यक्ष मौजूदगी है.
  10. सेबी ने हितों का टकराव रोकने के लिए म्यूचुअल फंड कंपनियों के मामले में भी अहम फैसला किया है. म्यूचुअल फंड कंपनियां भी एक-दूसरे में 10 प्रतिशत से अधिक शेयरहोल्डिंग नहीं रख सकेंगी. इसका यूटीआई संपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) के शेयरधारिता प्रारूप पर प्रभाव पड़ेगा. इसके प्रवर्तकों को हिस्सेदारी अगले एक साल में कम कर 10 प्रतिशत या उससे कम करनी होगी.
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