आर वेंकटरमणी केक वेणुगोपाल का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। 91 साल के वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 29 जून को तीन महीने के लिए देश के शीर्ष कानून अधिकारी के रूप में पुन: नियुक्त किया गया था।
केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी को तीन साल की अवधि के लिए भारत के नए अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया है। केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को जारी एक अधिसूचना में ये जानकारी दी गई है। आर वेंकटरमणी केक वेणुगोपाल का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। 91 साल के वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 29 जून को तीन महीने के लिए देश के शीर्ष कानून अधिकारी के रूप में पुन: नियुक्त किया गया था।
सीनियर एडवोकेट आर वेंकटरमणी देश के नए अटॉर्नी जनरल नियुक्त
मुकुल रोहतगी ने अटॉर्नी जनरल पद के लिए केंद्र का प्रस्ताव किया था अस्वीकार
वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटरमणी ने 2010 में भारत के विधि आयोग के सदस्य के रूप में काम किया है। वह पिछले 12 सालों से तमिलनाडु राज्य के लिए एक विशेष वरिष्ठ वकील के रूप में पेश हो रहे हैं और आंध्र प्रदेश राज्य के लिए एक विशेष वरिष्ठ वकील रहे हैं। इससे पहले रविवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि उन्होंने भारत का अगला अटॉर्नी जनरल बनने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। रोहतगी ने कहा कि उनके फैसले के पीछे कोई खास वजह नहीं है। केंद्र ने मौजूदा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की जगह लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में रोहतगी को पेशकश की थी।
मुकुल रोहतगी जून 2014 से जून 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे। उनके बाद वेणुगोपाल को जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 29 जून को देश के इस शीर्ष विधि अधिकारी के पद के लिए फिर तीन महीने लिए नियुक्त किया गया था। केंद्रीय कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वेणुगोपाल ‘व्यक्तिगत कारणों’ से अपनी अनिच्छा जताई थी, लेकिन 30 सितंबर तक पद पर बने रहने के सरकार के अनुरोध को उन्होंने मान लिया था।
अटॉनी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का पहला कार्यकाल 2020 में समाप्त होना था और उन्होंने सरकार से उनकी उम्र को ध्यान में रखकर जिम्मेदारियों से मुक्त कर देने का अनुरोध किया था, लेकिन बाद में उन्होंने एक साल के नए कार्यकाल को स्वीकार कर लिया, क्योंकि सरकार इस बात को ध्यान में रखकर चाह रही थी कि वह इस पद बने रहें कि वह हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी कर रहे हैं और उनका बार में लंबा अनुभव है। सामान्यत: अटॉर्नी जनरल का तीन साल का कार्यकाल होता है।
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