कड़ाके की सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक से सात की मौत-यह बरतें सावधानी

इस सीजन की रिकार्ड तोड़ ठंड ने ब्रेन स्ट्रोक (लकवे) के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ा दी है। हल्द्वानी में बीते कुछ दिनों में ब्रेन स्ट्रोक से सरकारी व निजी अस्पतालों में करीब सात लोगों की जान चली गई, जबकि 12 से अधिक मरीज हल्द्वानी के अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं या रेफर हुए हैं।

हल्द्वानी के निजी अस्पताल, जिनमें न्यूरोसर्जन हैं, वहां रोजाना तीन से चार स्ट्रोक के मरीज भर्ती हो रहे हैं। सुशीला तिवारी अस्पताल में भी रोजाना एक से दो स्ट्रोक के मरीज आ रहे हैं। यहां पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले मरीजों की भी संख्या भी अधिक है। डॉक्टरों के अनुसार अमूमन सर्दियों के सीजन में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ते हैं। पर इस साल ठंड अधिक पड़ने से स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

एक सप्ताह पूर्व शुक्रवार को हल्द्वानी के एक रेस्टोरेंट के कर्मचारी 55 साल के सुरेश सिंह को अचानक लकवे का अटैक पड़ा। पहले उसे एसटीएच में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताई तो साथी निजी अस्पताल लेकर गए, जहां उसने दम तोड़ दिया। इससे पहले स्ट्रोक से ललित आर्य नाम के कोच की भी मौत हुई है।

डॉ. केएस शाही, सर्जरी विभागाध्यक्ष, मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी ने बताया कि सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज काफी आ रहे हैं। एसटीएच में पर्याप्त सुविधाओं के साथ न्यूरोसर्जन भी हैं। चार लोगों की मौत अलग अलग कारणों से आए स्ट्रोक से हुई है। इस तरह के मामलों में मरीज जितनी जल्दी अस्पताल पहुंचेगा, उसके ठीक होने की उम्मीद उतनी बढ़ जाती हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ना स्ट्रोक का पहला लक्षण है।

केस 1: अचानक लकवा पड़ने से 62 साल के बालम सिंह को परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। निजी अस्पताल में दस दिन उपचार के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों के अनुसार लकवे के कारण उनके शरीर के कई अंगों की कार्यप्रणाली काम नहीं कर रही थी।

केस 2: हल्द्वानी निवासी गोपाल देऊपा को एक हफ्ते पहले अचानक स्ट्रोक पड़ा। परिजन उन्हें शहर के निजी अस्पताल में न्यूरोसर्जन के पास लेकर गए। चार दिन आईसीयू में रहने के बावजूद उनकी हालत में सुधार न होने पर दिल्ली ले गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार अधिक ठंड से स्ट्रोक आया है।

ब्रेन स्ट्रोक : ब्लड प्रेशर बढ़े तो अलर्ट हो जाएं

सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के खतरा काफी बढ़ जाता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार ब्लड प्रेशर बढ़ना इसका पहला लक्षण है। यदि बीपी बढ़ने पर मरीज और परिजन अलर्ट हो जाएं तो इससे निपटा जा सकता है। इसके साथ ही मरीज जितनी जल्दी अस्पताल पहुंच जाए तो उसके स्वस्थ होने की संभावना उतनी बढ़ जाती है।
हल्द्वानी के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. मिथलेश पांडे के अनुसार सर्दियों में स्ट्रोक की मुख्य वजह खून का गाढ़ा होना है। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अधिक दबाव के साथ जब रक्त मस्तिष्क में जाता है तो दिमाग की नस फट जाती है। दूसरे केस में ठंड के कारण रक्त की नलिकाएं सिकुडने के कारण खून सही मात्रा में दिमाग तक नहीं पहुंच पात। रक्त की आपूर्ति प्रभावित होने से पड़ने वाले स्ट्रोक को सूखा स्ट्रोक कहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, धूम्रपान करने वाले, डायबटीजी, दिल व किडनी की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को स्ट्रोक का सबसे ज्यादा खतरा रहता है।

डॉ. मिथलेश पांडे, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन हल्द्वानी ने बताया कि इन दिनों अमूमन हर दिन स्ट्रोक पीड़ति एक मरीज अस्पताल पहुंच रहा है। समय पर इलाज मिलने से स्ट्रोक के 50 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं। हालांकि ठीक होने के बाद भी उनमें लकवा और दूसरी शारीरिक अक्षमता रह जाती है।

स्ट्रोक के लक्षण

– मुंह टेढ़ा होना या आंख से ठीक तरह से दिखाई न देना
– शरीर के किसी अंग का काम करने में परेशानी
– सिर में लगातार दर्द रहना
– हाथों में अचानक ऊर्जा की कमी महसूस होना
– सांस लेने में दिक्कत होने लगे

यह बरतें सावधानी

– सर्दियों में नियमित बीपी की दवाएं लें
– बीपी, कोलेस्ट्रोल नियमित चेक कराएं
– बुजुर्गों के कमरे को गर्म रखें
– अधिक ठंड में बाहर निकलने से बचें
– व्यायाम जरूर करें पर धूप निकलने के बाद

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