स्लामाबाद: इमरान खान को सत्ता से बाहर होने का सता रहा डर

पाकिस्तान (Pakistan) के जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (Jamiat Ulema-e-Islam) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान (Maulana Fazlur Rahman) ने इमरान सरकार (Imran Khan) को सत्ता से हटाने के लिए इस्लामाबाद (Islamabad) तक आजादी मार्च निकालने की तैयारी की है.

स्लामाबाद . जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) ने भले ही दुनिया भर के देशों से मदद मांगी हो लेकिन हर जगह से उसे नाकामी ही हाथ लगी है. पाकिस्तान की इस हालत के लिए उनके मुल्क के लोग प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी है. हाल में ही खबर आई है कि पाकिस्तान के जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (Jamiat Ulema-e-Islam) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान (Maulana Fazlur Rahman) ने इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए इस्लामाबाद (Islamabad) तक आजादी मार्च निकालने की तैयारी की है. इमरान खान इस मार्च को लेकर इतना डरे हुए हैं कि उन्होंने अपने सहयोगियों से बातचीत का रास्ता खोजने को कहा है.

इमरान खान ने अपने सहयोगियों से कहा है कि किसी भी हाल में आजादी मार्च इस्लामाबाद नहीं पहुंचना चाहिए. इमरान चाहते हैं कि उनके सहयोगी जेयूआई के प्रमुख मौलाना फजलुर्रहमान के साथ बातचीत कर कोई बीच का रास्ता निकालें. फजलुर्रहमान ने संघीय राजधानी में सरकार के खिलाफ 31 अक्टूबर को बैठक बुलाई है. बताया जाता है कि फजलुर्रहान ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने आजादी मार्च रोकने की कोशिश की तो वह पूरे पाकिस्तान में चक्का जाम कर देंगे.

प्रधानमंत्री के साथ शुक्रवार को हुई बैठक के बाद बयान दिया गया है कि सरकार फजलुर्रहान की मांगों को पता लगाने के लिए उसने मिलने को तैयार है. बैठक में साफ कहा गया है कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह का गतिरोध नहीं बढ़ना चाहिए. बैठक में ये भी फैसला लिया गया है कि मौलाना रहमान की ओर से 27 अक्टूबर को सिंध से आजादी मार्च के रूप में निकाले जाने वाले आंदोलन को रोका नहीं जाएगा. यह आंदोलन 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा.

इमरान खान ने कहा कि अगर आजादी मार्च के प्रदर्शनकारी बेकाबू हो गए तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा. इमरान खान की इस बैठक के बाद मौलाना और सरकार के बीच संपर्क स्थापित करने की कवायद तेज कर दी गई है. बैठक में बताया गया कि पीपीपी और पीएमएल-एन अब एक ही मंच पर पहुंच गए हैं और देश के छोटे दलों को भी अपने साथ मिला रहे हैं. इस बीच, धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुल हक कादरी ने साफ किया कि उन्हें मौलाना फजलुर्रहमान के साथ बातचीत करने के लिए इमरान खान सरकार की की ओर से अभी तक कोई संदेश नहीं मिला है.

    ssss

    Leave a Comment

    Related posts