आप जब होटल में खाने खाने जाएं, तो अब आपको पानी की बोतल खरीदने के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से ज्यादा पैसे चुकाने पड़ सकते हैं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि होटल चाहें, तो वे पानी की बोतल के लिए MRP से ज्यादा पैसे वसूल सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में होटल और रेस्तरां MRP की बंधिस में नहीं बंध हैं.
जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने केंद्र सरकार के उस तर्क को नकार दिया, जिसमें उसने कहा था कि जो होटल पानी की बोतल के लिए तय एमआरपी से ज्यादा पैसे वसूलेंगे, उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है. केंद्र सरकार ने ऐसे होटल मालिकों को जेल भेजने की बात भी कही थी. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से नकार दिया.
रिपोर्ट की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर कहा कि एक ग्राहक जब होटल में जाता है, तो वह सिर्फ पानी की बोलत खरीदने नहीं जाता. वहां उसे कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं. इस वजह से उसे वहां सर्विस भी मिलती है.
केंद्र सरकार ने कहा था कि MRP से ज्यादा पैसे वसूलना न सिर्फ ग्राहकों के हितों के खिलाफ है, बल्कि यह कर चोरी का भी जरिया बन सकता है. हालांकि फेडरेशन आूफ होटल एंड रेस्टारेंट एसोसिएशन ने सरकार के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया. उसने कहा कि पानी की बोतल के लिए एमआरपी से ज्यादा पैसे वसूलने से न ग्राहकों के हितों को खतरा और न ही यह कर चोरी का जरिया बनेगा.
एसोसिएशन ने कहा कि होटल और रेस्टोरेंट में ग्राहकों को सर्विस भी दी जाती है. इस वजह से यहां MRP पर ही बेचने की बाध्यता लागू नहीं होती. एसोसिएशन ने कहा कि अगर सरकार को लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के तहत कार्रवाई करने की इजाजत मिलती है, तो यह इसके सदस्यों के लिए काफी नुकसानदायी साबित होगा.