चीन से तनातनी के बीच मंगलवार को मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत हुई। विध्वंसक मिसाइलों से लैस भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया के युद्धपोत हिन्द महासागर में अपनी ताकत व युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते नजर आए। बंगाल की खाड़ी में तीन से छह नवंबर तक चारों देशों की नौसेनाएं संयुक्त रूप से जोर आजमाइश करती दिखेंगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे चीन की बेचैनी बढ़नी तय है।
यह बहुपक्षीय नौसैनिक युद्धाभ्यास है, इसमें नौसेनाएं युद्ध जैसे हालात पैदा करती हैं और आपस में संघर्ष करती नजर आती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पहली बार इतने बड़े मुल्क की नौसेनाएं एक साथ, एक महासागर में एक खास उद्धेश्य के साथ उतरी हैं। हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती नापाक हरकतों पर लगाम लगाना उनका मकसद है और यही चीन की बेचैनी बढ़ने की बड़ी वजह है। इस साल यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जाएगा, पहला मंगलवार को विशाखापत्तनम के पास तट से, और दूसरा मध्य नवंबर में अरब सागर में। पिछले साल इसे सितंबर के शुरू में जापान के तट पर आयोजित किया गया था।
करीब 13 साल बाद चारों देश साथ
भारत कई देशों के साथ अक्सर युद्धाभ्यास करता रहा है लेकिन करीब 13 साल बाद ‘क्वाड’ गठबंधन के चारों देश भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया एक साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं। 1992 में भारत व अमेरिका की नौसेनाओं के बीच युद्धाभ्यास से इसकी शुरुआत हुई और 2015 में जापान भी इसमें शामिल हुआ। 2007 में ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें हिस्सा लिया था लेकिन बाद में वह दूर हो गया था। अब चीन के साथ उसका टकराव फिर बढ़ा तो एक बार फिर वह इस युद्धाभ्यास का हिस्सा बनने को राजी हुआ।
भारत की भूमिका
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 अक्तूबर को अमेरिका के साथ 2 + 2 वार्ता के बाद कहा था कि हम इस बात पर सहमत हुए कि यह आवश्यक है कि नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखा जाए, कानून के शासन का सम्मान किया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुद्र में आवागमन की स्वतंत्रता हो और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखा जाए। बीते दिनों जापान के प्रधानमंत्री योशिहीडे सूगा ने कहा था कि इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र को स्वतंत्र और भयमुक्त बनाना है। अमेरिका पहले ही चीन को रोकने के लिए अपने युद्धपोत भेज चुका है।
चीन को किस बात का डर
क्वाड देश अंतरराष्ट्रीय समुद्र में सबके लिए आवाजाही बनाए रखना चाहते हैं लेकिन चीन इसमें अड़ंगे डाल रहा है। दक्षिण चीन सागर में जो भी चल रहा है, वह कहीं न कहीं अंतरराष्ट्रीय समुद्र पर कब्जा करना और उसके जरिए अन्य देशों के मुक्त आवागमन को रोकना चाहता है। इसलिए इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। चीन हर साल मालाबार युद्धाभ्यास के उद्देश्यों को लेकर सशंकित रहता है। वह महसूस करता है कि यह युद्धाभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। तीन सितंबर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि क्वाड यह सुनिश्चित करेगा कि हिंद महासागर क्षेत्र और आसपास के अन्य सभी महासागर में बिना किसी डर के आने जाने की पूर्ण स्वतंत्रता हो। महासागरों पर कब्जा करने की कोशिश में जुटे देशों के लिए यह संदेश है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सामरिक मामलों के जानकार सुशांत सरीन के मुताबिक, ‘मालाबार युद्धाभ्यास’ सिर्फ अभ्यास मात्र नहीं है बल्कि इसके जरिए भारत, अमरीका, जापान व ऑस्ट्रेलिया पूरी दुनिया को एक कड़ा संदेश देना चाहते हैं। जरूर ये इस क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में सामने आएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख में चीन से गतिरोध के बीच भारत-प्रशांत क्षेत्र से चार बड़ी नौसेनाओं की भागीदारी चीन को एक संदेश देगी।
कौन-कौन से युद्धपोत शामिल
भारत के चार युद्धपोत
1. आईएनएस रणविजय : नौसेना के सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक, लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस , पनडुब्बी रोधी टोरपीडो और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से युक्त।
2. आईएनएस शिवालिक : भारत में निर्मित यह पहला युद्धपोत जो रडार से बच निकलने में सक्षम, 143 मीटर लंबा और करीब 6,000 टन वजनी इस युद्धपोत में किसी भी तरह के दुश्मन को मात देने की क्षमता
3. आईएनएस सुकन्या : भारतीय नौसेना का गश्ती जहाज, इसका इस्तेमाल तटीय इलाकों में निगरानी के लिए किया जाता है। अभी यह हल्के शस्त्रों से लैस लेकिन जरूरत पड़ने पर इसकी क्षमता दस गुना तक बढ़ाई जा सकती है।
4. आईएनएस शक्ति: भारतीय नौसेना के नवरत्नों में से एक, अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित होने के साथ-साथ रडार और सेंसर से भी पूरी तरह लैस। कुछ ही पलों में दुश्मन के नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने में सक्षम
अमेरिकी युद्धपोत जॉन एस मैक्केन: अमेरिकी नौसेना का गाइडेड मिसाइल से लैस विध्वंसक युद्धपोत, किसी भी युद्ध में बमवर्षा करने में सक्षम, दुनिया के सबसे विध्वंसक युद्धपोत में से एक
ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोत एचएमएएस बालार्ट: ऑस्ट्रेलिया का अग्रणी युद्धपोत, दुनियाभर में कई देशों के साथ हुए युद्धाभ्यास का हिस्सा रहा, विध्वंसक मिसाइलों, शस्त्रों से सुसज्जित, रडार को मात देने में सक्षम
जापान का जेएस ओनमी (विध्वंसक): दुनिया के सबसे अत्याधुनिक व विध्वंसक युद्धपोतों में से एक, समुद्र के नीचे रहते हुए दुनिया के किसी भी युद्धपोत को विध्वंस करने की क्षमता, शस्त्रागारों से सुसज्जित
चीन को आस : मालाबार अभ्यास क्षेत्रीय शांति एवं स्थायित्व के अनुकूल होगा
चीन ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया का चतुष्पक्षीय मालाबार अभ्यास क्षेत्रीय शांति एवं स्थायित्व के विरुद्ध नहीं बल्कि उसके अनुकूल होगा। मालाबार अभ्यास का पहला चरण मंगलवार को विशाखापत्तनम के समीप बंगाल की खाड़ी में शुरू हो गया। समापन छह नवंबर को होगा। उसका दूसरा चरण 17-20 नवंबर के दौरान अरब सागर में होगा। इस अभ्यास की शुरुआत के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन ने कहा कि हम आशा करते हैं कि प्रासंगिक देशों का सैन्य अभियान इस क्षेत्र की शांति एवं स्थायित्व के विरुद्ध नहीं बल्कि उसके अनुकूल होगा। पिछले महीने भारत ने घोषणा की थी कि आस्ट्रेलिया मालाबार अभ्यास का हिस्सा होगा, जो इसे प्रभावी रूप से चतुष्पक्षीय गठबंधन के सभी चार सदस्य देशों के अभ्यास का रूप देगा।
Indian Navy, United States Navy, Japan Maritime Self Defence Force, & Royal Australian Navy are participating in 24th #Malabar naval exercise that started in Bay of Bengal today: Indian Navy pic.twitter.com/gU4pi33j2K
— ANI (@ANI) November 3, 2020
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