सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश में प्रवासी कामगारों की आवाजाही की निगरानी करना या इसे रोकना अदालतों के लिये असंभव है और इस संबंध में सरकार को ही आवश्यक कार्रवाई करनी होगी
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश में प्रवासी कामगारों की आवाजाही की निगरानी करना या इसे रोकना अदालतों के लिये असंभव है और इस संबंध में सरकार को ही आवश्यक कार्रवाई करनी होगी. केन्द्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि देश भर में इन प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिये सरकार परिवहन सुविधा मुहैया करा रही है लेकिन उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैदल ही चल देने की बजाये अपनी बारी का इंतजार करना होगा. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने रास्ते में फंसे कामगारों की पहचान कर उनके लिये खाने और आवास की व्यवस्था करने का सभी जिलाधिकारियों को निर्देश देने हेतु दायर आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया.
Madhya Pradesh: A pregnant migrant labourer delivered a baby boy in Barwani SDM's car y'day. "We had gone to screen workers came from Gujarat when a woman started experiencing labour pain. We were just on hospital gate, when she delivered the baby in car", says Dr Kishore Mukati. pic.twitter.com/a0ytGfDb7S
— ANI (@ANI) May 15, 2020
इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा कि क्या इन कामगारों को सड़कों पर पैदल ही चलने से रोकने का कोई रास्ता है. मेहता ने कहा कि राज्य इन कामगारों को अंतरराज्यीय बस सेवा उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन अगर लोग परिवहन सुविधा के लिये अपनी बारी का इंतजार करने की बजाये पैदल ही चलना शुरू कर दें तो कुछ नहीं किया जा सकता है. मेहता ने कहा कि राज्य सरकारों के बीच समझौते से प्रत्येक व्यक्ति को अपने गंतव्य तक यात्रा करने का अवसर मिलेगा। इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने हाल ही में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में राजमार्ग पर हुयी सड़क दुर्घटनाओं में श्रमिकों के मारे जाने की घटनाओं की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया.
Punjab: Sanitisation being done at Sri Guru Ram Dass Jee International airport in Amritsar#COVID19 pic.twitter.com/xxIb3cau68
— ANI (@ANI) May 15, 2020
पीठ ने सवाल किया, ‘हम इसे कैसे रोक सकते है?’’ पीठ ने कहा कि राज्यों को इस मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए. पीठ ने कहा कि वह इस आवेदन पर विचार करने की इच्छुक नहीं है. साथ ही उसने टिप्पणी की कि अदालतों के लिये सड़कों पर चल रहे व्यक्तियों की निगरानी करना असंभव है. श्रीवास्तव ने प्रवासी कामगारों की कठिनाईयों से संबंधित निस्तारित की जा चुकी जनहित याचिका में औरंगाबाद के निकट रेलवे लाइन पर 16 श्रमिकों के एक मालगाड़ी से कुचले जाने की घटना के तुरंत बाद यह आवेदन दायर किया था.
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